रिजर्व बैंक का खजाना देश के लिए इतना पवित्र माना जाता रहा है कि वो भले ही लाखों करोड़ का मुनाफा कमा ले, उस पर एक धेले का भी टैक्स नहीं लगाया जाता। चूंकि रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए आरबीआई एक्ट, 1934 के सेक्शन-48 के तहत उसे इनकम टैक्स या किसी तरह के दूसरे टैक्स से पूरी तरह मुक्त रखा गया ताकि उसका वित्तीय स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके और वो देश की मौद्रिक नीति व वित्तीय व्यवस्था को निश्चिंत व स्वतंत्र रूप से चला सके। लेकिन संविधान के ऐसे स्पष्ट प्रावधान के बावजूद मोदी सरकार ने उसके खजाने पर हाथ साफ करने का वैधानिक रास्ता निकाल लिया। क्या दुनिया का कोई देश या उसकी सरकार अपने केंद्रीय बैंक की जड़ों में इस तरह मठ्ठा डालने की जुर्रत कर सकती है? असल में अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंक की संरचना व संस्था अलग-अलग तरीकों से विकसित हुई है। फिर भी हर हाल में उनकी स्वायत्तता और मजबूती सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी इन देशों की केंद्र सरकार की है। भारत में रिजर्व बैंक का 100% मालिकाना केंद्र सरकार का है। वहीं, अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व में तमाम राज्यों का स्वामित्व है। फेडरल बैंक से लेकर यूरोपीय केंद्रीय बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड से उनकी केंद्र सरकार कुछ वसूलती नहीं, बल्कि उनके हर घाटे की भरपाई करती है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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