जयराम रमेश को पर्यावरण मंत्रालय से हटाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दे दी गई। लेकिन रमेश के इस तरह चले जाने पर पर्यावरणविदों की भावनाएं काफी आहत हुई हैं। इसे जताते हुए प्रोजेक्ट टाइगर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनसे कहा, ‘‘सर, बाघों को आपकी कमी खलेगी।’’ मंगलवार को कैबिनेट मंत्री के तौर पर पदोन्नत किए गए रमेश ने इस पर प्रतिक्रिया दी, ‘‘मस्त रहो, मैं मंगल पर नहीं जा रहा।’’ बाघों के हितैषी मंत्री समझे जाने वाले रमेश ने कहा, ‘‘मैं दो बाघों को सरिस्का भेजने वाला था।’’ अधिकारी ने रमेश को ‘बाघों के महान समर्थक’ की संज्ञा दी।
रमेश ने पर्यावरण मंत्री पद पर रहते हुए काफी सक्रियता से कामकाज किया और पर्यावरण संबंधी मंजूरी देने में अपने सख्त रुख के चलते विवादों में भी रहे। बाघों के संरक्षण के लिए काम करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता वाल्मीक थापर का कहना है कि रमेश ने पर्यावरण मंत्रालय के कामकाज को बेहतर बनाया है।
थापर के मुताबिक, ‘‘मुझे लगता है कि जयराम रमेश ने मंत्रालय में काफी मेहनत की है, काम जाना है, मंत्रालय के कामकाज को बेहतर बनाया है और उन्हें जो करने का अधिकार था, उन्होंने किया।’’ थापर के अनुसार रमेश की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कोई भी उनके साथ बहस कर सकता है, उनके सामने जोर से बोल सकता है। रमेश ने अपनी नई जिम्मेदारी पर बोलने से इनकार कर दिया।
जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पर्यावरण मंत्री रहते जो कहा था, क्या वे कर सके तो उन्होंने केवल इतना कहा, ‘‘मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना।’’ रमेश ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘‘कम से कम वेबसाइट (पर्यावरण मंत्रालय की) की गुणवत्ता में तो सुधार हुआ है।’’