हमारी जितनी भी ऊर्जा है, सारी की सारी उधार की है। इसे किसी न किसी दिन लौटाना ही पड़ता है। अपने अंदर लेकर बैठे रहे तो कभी चैन नहीं मिलता क्योंकि कर्ज लौटाए बिना उऋण कैसे हो सकते हैं हम?
2011-08-21
हमारी जितनी भी ऊर्जा है, सारी की सारी उधार की है। इसे किसी न किसी दिन लौटाना ही पड़ता है। अपने अंदर लेकर बैठे रहे तो कभी चैन नहीं मिलता क्योंकि कर्ज लौटाए बिना उऋण कैसे हो सकते हैं हम?
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