भारत भले ही दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि देश में आर्थिक मोर्चे पर सब ठीकठीक चल रहा है। जिस कृषि क्षेत्र पर हमारी 46.1% श्रमशक्ति और करीब 65% आबादी निर्भऱ है, वो तो पहले भी भगवान भरोसे थी और अब भी रामभरोसे ही है। लेकिन जिस सेवा क्षेत्र और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र पर देश की विकासगाथा और विकास-यात्रा को आगे बढ़ाने का दारोमदार है, उसकी ठहरी या पस्त हालत अर्थव्यवस्था के लिए धीमा ज़हर बन गई है। इसी का असर है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 19 जून तक एडवांस टैक्स संग्रह मात्र 3.87% बढ़ा है, जबकि इसी अवधि में बीते वित्त वर्ष 2024-25 में यह 27.34% बढ़ा था। इसमें 1 अप्रैल से 19 जून तक कॉरपोरेट टैक्स का अग्रिम संग्रह ₹1.22 लाख करोड़ रहा है जो पिछले साल की समान अवधि से 5.86% अधिक है। वहीं, इस दौरान निजी इनकम टैक्स या गैर-कॉरपोरेट टैक्स से ₹33,928.32 करोड़ ही इकट्ठा हुए हैं जो पिछले साल की समान अवधि से मात्र 2.68% ज्यादा है। यह दिखाता है कि कंपनियों से लेकर व्यक्तियों तक की आय घट रही है। नोट करने की बात है कि उनकी आय मुद्रास्फीति को भी ठीक से मात नहीं दे पा रही। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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