भारत को विकसित देश बनाना अब कोई कार्यक्रम नहीं, बल्कि मार्केटिंग का पैंतरा बनकर रह गया है। सरकार या सरकारी संस्थानों को जो कुछ बेचना है, उसे विकसित भारत के रैपर में लपेट देते हैं। यहां तक कि भारतीय स्टेट बैंक ने कुछ हफ्ते पहले अपने म्यूचुअल फंड के लिए ₹250 प्रति माह की एसआईपी ‘जननिवेश – जन जन का निवेश’ स्कीम लॉन्च की तो उसकी भी टैगलाइन बना दी कि विकसित भारत की यात्रा का हिस्सा बनें। यह गरीब लोगों की बचत को कॉरपोरेट निवेश में इस्तेमाल करने की योजना का हिस्सा है और विकसित भारत की यात्रा का इससे कोई वास्ता नहीं। फिर भी विकसित देश बनने की जन आकांक्षा का दोहन किया जा रहा है उसी अंदाज में कि रामनाम की लूट है, लूट सके तो लूट। लेकिन भारत को विकसित देश अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा देने से नहीं, बल्कि प्रति व्यक्ति आय को विकसित देश के स्तर तक पहुंचाने से बनेगा। इस समय विश्व बैंक का पैमाना यह है कि विकसित देश की प्रति व्यक्ति आय 14,005 डॉलर होनी चाहिए। नीति आयोग ने साल 2047 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 18,000 डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। अभी यह असल में 1532 डॉलर और सतह पर 2698 डॉलर है। अब सोमवार का व्योम…
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