सरकार ने पाकिस्तान ही नहीं, चीन को भी दुश्मन श्रेणी का देश प्रचारित कर रखा है। चीन के खिलाफ जनता में माहौल बनाया जाता है। लेकिन सरकार ने व्यापारिक रिश्तों में चीन को बड़ी तवज्जो दे रखी है। चीन ने लद्दाख में तीन साल से हमारी लगभग 2000 किलोमीटर ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है। लेकिन सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है। यही नहीं, वह चीन से आयात बढ़ाती जा रही है। भारत के आयात में चीन का हिस्सा 2019-20 में 13.68% हुआ करता था। लेकिन 2020-21 में यह 16.53% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच या। 2021-22 में घटकर 15.43% और 2022-23 में 13.79% हो गया। फिर भी यह काफी ज्यादा है। दिक्कत यह है कि भारत चीन को कच्चे माल जैसी प्राथमिक वस्तुएं निर्यात करता, जबकि चीन हमें इलेक्ट्रिक व इलेक्ट्रॉनिक सामान व फार्मास्युटिकल्स समेत कार्बनिक रसायन और प्लास्टिक साजोसामान निर्यात करता है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2013-14 में 36.2 अरब डॉलर हुआ करता था। नौ साल बाद वित्त वर्ष 2022-23 में यह 83 अरब डॉलर हो चुका है, जो भारत के कुल व्यापार घाटे का 31.6% है। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...