आर्थिक विकास की ढोल की पोल खोलते कुछ ताज़ातरीन तथ्य। कुछ ही दिन पहले जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के व्यापार घाटे ने अक्टूबर महीने में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। व्यापार घाटे का बढ़ना हमारे लिए अच्छा नहीं, वो भी तब कई सालों से आत्मनिर्भर भारत का नारा उछाला जा रहा हो। अक्टूबर में देश का वस्तु निर्यात 33.57 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 65.03 अरब डॉलर का तो व्यापार घाटा 31.46 अरब डॉलर के रिकॉर्डऔरऔर भी

शेयर बाज़ार जिन लिस्टेड कंपनियों के प्रदर्शन पर टिका है, लिस्टेड कंपनियां जिस कॉरपोरेट क्षेत्र क हिस्सा हैं और कॉरपोरेट क्षेत्र जिस व्यापक अर्थव्यवस्था पर टिका है, उसका वास्तविक हाल क्या है? अपने मशहूर शायर अदम गोंडवी की दो लाइनें हैं कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है। थोड़ा-सा गहराई में जाएं तो हमारी अर्थव्यवस्था का भी यही हाल है। दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाऔरऔर भी

नोट करने की बात है कि म्यूचुअल फंड की एसआईपी में छोटे शहरों के निवेशक ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहे हैं। वे दस साल पहले तक बैंक खातों में जो रिकरिंग डिपॉजिट किया करते थे, उसकी जगह म्यूचुअल फंड की एसआईपी ने ले ली है। 2013-14 में पूरे साल में एसआईपी से 14,500 करोड़ रुपए आए थे। अब तो हर महीने 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा आ रहे हैं। यह भी खास बात है कि म्यूचुअल फंडऔरऔर भी

अपने शेयर बाज़ार में 3 अक्टूबर से 17 नवंबर के दौरान जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शुद्ध रूप से 37,472.82 करोड़ रुपए निकाले, उसी दौरान देशी संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 37,489.85 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद की। एफपीआई से थोड़ी-सी ज्यादा। असल में डीआईआई के भीतर खास भूमिका निभा रहे हैं म्यूचुअल फंड और म्यूचुअल फंडों में नियमित धन का प्रवाह सुनिश्चित कर दिया है आम लोगों द्वारा की जा रही एसआईपी या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लानऔरऔर भी

शेयर बाज़ार के निवेश में समझदार कौन? विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) या देशी संस्थागत निवेशक (डीआईआई)? इनमें से कौन तय करता है हमारे बाज़ार की दशा-दिशा? आम मान्यता है कि एफपीआई या एफआईआई ही इसे तय करते हैं। लेकिन यह मान्यता अब हकीकत से दूर जाती नज़र आ रही है। पहले विदेशी निवेशकों के बेचने से अपना बाज़ार जितना गिरता था, अब उतना गिर तो नहीं ही रहा, बल्कि बढ़ जा रहा है। मसलन, अगस्त 2011 मेंऔरऔर भी