यह बेहद खतरनाक ट्रेंड है कि देश में रोजगार-प्राप्त लोगों में नौजवानों का हिस्सा घट रहा है और 60 साल के करीब पहुंच रहे लोगों का हिस्सा बढ़ रहा है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक देश में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 15 से 29 साल तक की 35.49 करोड़ की आबादी में से 10.34 करोड़ या करीब 29% को रोज़गार मिला हुआ था। 2022-23 में ऐसे युवाओं की आबादी 38.13 करोड़ हो गई, जिसमें से 7.10औरऔर भी

एक तरफ प्रधानमंत्री देश के नौजवान बेटी-बेटियों के सौभाग्य की बात कर रहें हैं, दूसरी तरफ दुर्भाग्य की बात यह है कि पिछले सात सालों में देश की श्रम-शक्ति तेज़ी से बूढ़ी होती जा रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों की थाह लेने पर पता चलता है कि वित्त वर्ष 2016-17 के शुरू से 2022-23 के अंत तक देश की काम-धंधे में लगी आबादी में 15 से 29 साल तक के युवाओं काऔरऔर भी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से बोले, “आज मेरे देश के नौजवानों को, मेरे देश की बेटे-बेटियों को जो सौभाग्‍य मिला है, ऐसा सौभाग्‍य शायद ही किसी को नसीब होता है। इसलिए हमें इसे गंवाना नहीं है। युवा शक्ति में मेरा भरोसा है, युवा शक्ति में सामर्थ्‍य है और हमारी नीतियां और हमारी रीतियां भी उस युवा सामर्थ्‍य को और बल देने के लिए हैं।” क्या सचमुच ऐसा है? सरकार की जो नीतियांऔरऔर भी

शेयरों के भाव तब बढ़ते हैं जब उनके पीछे धन उमड़ता है। धन तब उमड़ता है, जब हवा होती है, माहौल बनता है। माहौल तब बनता है, जब कंपनियों के धंधे में बरक्कत हो रही होती है या ऐसा होने की प्रबल संभावना होती है। कंपनियां के धंधे में बरक्कत अर्थव्यवस्था के दम पर होती है। अर्थव्यवस्था तब बढ़ती है जब कोई देश अपनी प्राकृतिक, भौतिक व मानव सम्पदा का महत्तम इस्तेमाल करता है। भारत के पासऔरऔर भी

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत पहुंचा है तो किसी हवन, भजन-कीर्तन या नमाज नहीं, बल्कि विज्ञान के बल पर। हमें जीवन ही नहीं, निवेश तक के सवालों को सुलझाने में विज्ञान की इस ताकत को समझना होगा। विज्ञान के साथ चलने में फायदा ही फायदा, छलांग ही छलांग। न कोई धोखा, न कोई घाटा। इस समय कई कंपनियां अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय हैं। मसलन, अवांटेल जैसी छोटी कंपनी ने 1990 ने काम शुरू कियाऔरऔर भी