प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से बोले, “आज मेरे देश के नौजवानों को, मेरे देश की बेटे-बेटियों को जो सौभाग्य मिला है, ऐसा सौभाग्य शायद ही किसी को नसीब होता है। इसलिए हमें इसे गंवाना नहीं है। युवा शक्ति में मेरा भरोसा है, युवा शक्ति में सामर्थ्य है और हमारी नीतियां और हमारी रीतियां भी उस युवा सामर्थ्य को और बल देने के लिए हैं।” क्या सचमुच ऐसा है? सरकार की जो नीतियां व रीतियां हैं, उससे जो नौजवान जितना ज्यादा शिक्षित है, उसके रोजगार पाने की गुंजाइश उतनी ही कम हो गई है। जिस देश की 50% से ज्यादा आबादी 25 साल से कम और 65% की उम्र 35 साल से कम हो और जो दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था हो, वहां करोड़ों नौजवानों का बेरोज़गार रहना विकट पहेली है। यह कोई विरोधाभास नहीं। न ही ऑटोमेशन या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का चलन बढ़ जाने का नतीजा है। यह नतीजा है कथनी व करनी के फासले का, सरकार की नीतियों और रीतियों का। अब मंगलवार की दृष्टि…
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