चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत पहुंचा है तो किसी हवन, भजन-कीर्तन या नमाज नहीं, बल्कि विज्ञान के बल पर। हमें जीवन ही नहीं, निवेश तक के सवालों को सुलझाने में विज्ञान की इस ताकत को समझना होगा। विज्ञान के साथ चलने में फायदा ही फायदा, छलांग ही छलांग। न कोई धोखा, न कोई घाटा। इस समय कई कंपनियां अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय हैं। मसलन, अवांटेल जैसी छोटी कंपनी ने 1990 ने काम शुरू किया तो वह अंतरिक्ष विज्ञान में किसी छलांग से कम नहीं था। हमने 30 मई 2021 को जब इसका शेयर पकड़ा, तब से सवा दो साल में वो ढाई गुना से ज्यादा छलांग लगा चुका है। विज्ञान हमें रोजमर्रा से लेकर दर्शन तक की समस्या को सुलझाने का नया नजरिया देता है। जैसे, मैं कौन हूं – यह सवाल भारतीय दर्शन के मूल में है। लेकिन अवांटेल के संस्थापक व सीईओ डॉ. विद्यासागर अब्बुरी ने अपनी किताब ‘Who am I?’ में इसी सवाल को इतने वैज्ञानिक तरीके से सुलझाया है कि आप पढ़कर दंग रह जाएंगे और शरीर से लेकर मानवजाति का सारा विकासक्रम आपको समझ में आने लगेगा। आज तथास्तु में चंद्रयान-3 की सफलता से जुड़ी एक बड़ी कंपनी…
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