साल 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट से उपजी आर्थिक मदी से निपटने के लिए अमेरिका ने क्वांटिटेटिव ईजिंग या नोट छापकर सिस्टम में डालने का ऐसा सिलसिला शुरू किया कि दुनिया भर में वित्तीय बाज़ार, खासकर शेयर बाज़ार से मूल अर्थव्यवस्था का बुनियादी रिश्ता-नाता ही टूट गया। अमेरिका, जापान व यूरोप जैसे देशों से सस्ता धन निकलता है और दुनिया भर के देशों के शेयर बाज़ार की दशा-दिशा तय कर देता है। फिर भी इधर साल भरऔरऔर भी