बाज़ार को ट्रेडिंग सत्र के बाद ढोना नहीं चाहिए। जब तक ट्रेडिंग की और उसके ऊपर दो-तीन घंटे की तैयारी। इसके बाद ज़िंदगी अपनी। घर-परिवार से लेकर दूसरे भी महत्वपूर्ण काम हैं! लेकिन अगर छुट्टी के चलते कई दिनों से वित्तीय बाज़ार की लय-ताल से दूर हैं तो मौके की नब्ज़ को पकड़ने के लिए कुछ अतिरिक्त पढ़ना-लिखना और तैयारी करनी पड़ेगी। यह खाला का घर नहीं कि अचानक सिर उठाकर घुस लिए। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

आप ट्रेडिंग का जो भी तरीका अपनाएं, उसके लिए दो-तीन घंटे की तैयारी ज़रूरी है। सोमवार से शुक्रवार हर दिन छह घंटे के ट्रेडिंग सत्र से पहले चाहे अल-सुबह या पिछले दिन की शाम को इतना वक्त बाजा़र के अपडेट और स्टॉक के चयन के लिए देना पर्याप्त है। बाहरी सेवा लेते हैं, तब भी आपको अपनी तरफ से इतना समय तो देना पड़ेगा। तभी आप रिस्क-रिवॉर्ड को समझते हुए सौदा कर पाएंगे। अब गुरुवार की दशा-दिशा…और भीऔर भी

अहम सवाल है कि वित्तीय बाज़ार में उतरने की वाजिब तैयारी क्या है? अगर आप टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर ट्रेडिंग करते हैं या स्क्रीन पर भावों के उतार-चढ़ाव पर दांव लगाते हैं या समाचारों पर आधारित ट्रेड करते हैं तो क्या तीनों अलग-अलग तरीकों में बाज़ार की अद्यतन स्थिति से वाकिफ हैं कि नहीं? अगर हैं तो तैयारी वाजिब है, अन्यथा नहीं। इसके ऊपर से कितना रिस्क ले रहे हैं, यह जानना। अब बुधवार की बुद्धि…और भीऔर भी

अचानक कुछ ऐसा घट जाता है जिसके बारे में किसी ने दूर-दूर तक सोचा भी नहीं था। यह अनिश्चितता आमजीवन में चलती है और लोगबाग इसका सदमा झेलते रहते हैं। लेकिन वित्तीय बाज़ार में तो सभी इसी अनिश्चितता या रिस्क से खेलने आते हैं। कहा जाता है कि रिस्क जितना ज्यादा, रिवॉर्ड या प्रतिफल उतना ज्यादा। लेकिन ध्यान रहे कि बिना वाजिब तैयारी के उतरने पर बाज़ार आपके कपड़े उतरवा लेता है। अब मंगलवार की दृष्टि…और भीऔर भी

वित्तीय बाज़ारों के बारे में अमिट सच है कि यहां पहले से कुछ भी निश्चित नहीं। इस बाज़ार में आप उतरते हैं तो समझिए कि अनिश्चितता की भंवर में छलांग लगा रहे हैं। इसमें से कुछ भी माणिक, मोती निकालकर लाने के लिए आपको तैराक ही नहीं, कुशल तैराक होना ज़रूरी है। नहीं तो धारा में जमे बड़े-बड़े मगरमच्छ आपको आसानी से शिकार बना डालेंगे। लालच किया या डरकर भागे तो पक्का मरोगे। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी