हम जिन स्टॉक्स या इंडेक्स में ट्रेडिंग करना चाहते हैं, उनका स्वभाव भलीभांति समझना होगा। यह स्वभाव हवा से नहीं, बल्कि इससे तय होता है कि उसमें कैसे प्रमुख ट्रेडर सक्रिय हैं। बड़े या प्रोफेशनल ट्रेडर बीस जगह मुंह नहीं मारते। वे चुनिंदा शेयरों में ट्रेडिंग से कमाते हैं। कोई किसी को नहीं बताता कि वह किन स्टॉक्स में सक्रिय है। लेकिन उनकी सक्रियता का असर भावों के पैटर्न में दिख जाता है। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में मूल चीज़ है शेयरों के पल-पल बदलते भाव। इन्हीं से खेलकर कोई ट्रेडर कमाता है। जिस तरह व्यापारी को माल के बारीक ब्यौरे से ज्यादा उसे बेचने की पड़ी रहती है, उसी तरह वित्तीय बाज़ार का ट्रेडर कंपनी के मूलभूत पहलुओं के बजाय उसके शेयर के भाव व स्वभाव में ज्यादा दिलचस्पी रखता है क्योकि वहीं से उसकी कमाई होनी है। बाकी कंपनी का इतिहास-भूगोल जानकर वह आखिर क्या करेगा! अब गुरु की दशा-दिशा…और भीऔर भी

जो लोग भी शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से नियमित कमाई करना चाहते हैं, उन्हें नासिब निकोलस तालेब की दो किताबें ‘द ब्लैक स्वान’ और ‘फूल्ड बाय रैंडमनेस’ ज़रूर पढ़ लेना चाहिेए। ये किताबें आपको शेयर बाज़ार के मूल स्वभाव से अवगत करा देंगी। उस फ्रेम में फिर आपको अपना ट्रेडिंग सिस्टम विकसित करना होगा। इसमें चाहें तो फंडामेटल व टेक्निकल एनालिसिस को मिला सकते हैं। नहीं तो केवल टेक्निकल। अब बुधवार की बुद्धि…और भीऔर भी

शेयर बाज़ार का पूरा और अलग-अलग स्टॉक्स का स्वभाव पूरी तरह रैंडम है। उसकी चाल को किसी पक्के नियम में नहीं बाधा जा सकता। बहुत हुआ तो दो-चार, दस दिन या एकाध महीने में उठने-गिरने की प्रायिकता निकाली जा सकती है। ऐसी अनिश्चितता के बीच ट्रेडिंग की बाहरी सलाहें केवल अपना धंधा चमकाने के लिए होती हैं। वे चाहें भी तो किसी स्टॉक या इंडेक्स के उठने-गिरने का पक्का स्तर नहीं बता सकते। अब मंगल की दृष्टि…औरऔर भी

कहने को हम कह सकते हैं कि जिस केयर रेटिग्स को सोमवार को 525 पर खरीदने को कहा था, वो उस दिन एंट्री का मौका देने के बाद पांच दिन के अंदर ही 27.13% बढ़त के साथ 668 पर पहुंच गया, वह भी शुक्रवार को 4.17% गिरने के बाद। लेकिन हम यही कहते हैं कि अगर आप बाहरी सलाह लेकर शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाना चाहते हैं तो यह सोच आत्मघाती है। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी