जो दिखता है, वह सच नहीं और जो सच है, वह तब तक नहीं दिखता जब तक कोई घोटाला न जाए। सच की ऐसी परदादारी देख किसी का भी विश्वास टूट सकता है। सोचिए, मार्च 2019 के अंत तक पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक का सकल एनपीए 3.76 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 2.19 प्रतिशत रहा था, जबकि इसी दौरान देश से सबसे बड़े बैंक एसबीआई का सकल एनपीए 7.53 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 3.01 प्रतिशत था।औरऔर भी

इस बार रीयल एस्टेट क्षेत्र दिवाली पर मात्र 20,849 नए मकान लॉन्च कर रहा है। यह संख्या पिछले साल 2018 की दिवाली की तुलना में मात्र एक-तिहाई है। तब भी लॉन्च हुई यूनिटों की संख्या 2017 से 25% कम रही थी। खास बात यह है कि इस बार लगातार सातवां त्योहारी सीजन है, जब रियल्टी कारोबार को सुस्ती का सामना करना पड़ा है। वैसे, बिल्डर ग्राहकों को पकड़ने पुरजोर कोशिश में लगे हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

रियल्टी क्षेत्र की हालत कुछ ज्यादा ही खराब है। हालांकि चंदे की लालची सरकार उसकी मदद में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही। फिर भी देश में अनबिके मकानों की संख्या दस लाख से ज्यादा है। इनकी कीमत 6 लाख करोड़ रुपए के आसपास है। अधिकांश डेवलपर वित्तीय फांस में जकड़े हैं। न तो वे इन्वेंटरी निकाल पा रहे हैं और न ही फाइनेंस के अभाव में अपने प्रोजेक्ट पूरे कर पा रहे हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

बाज़ार में स्थिति यह है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर, बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, रिलैक्सो फुटवियर, सीमेंस, नेस्ले, एवेन्यू सुपरमार्ट्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, वोल्टाज, बाटा व अडानी ग्रीन एनर्जी जैसी मुठ्ठी भर कंपनियों ने 52 हफ्ते का नया शिखर पकड़ा है। पर, बाज़ार में तलहटी तक गिरी कंपनियों की संख्या चोटी तक चढ़ी कंपनियों से कम से कम छह गुनी ज्यादा है। बड़ों को लेने का फायदा नहीं। छोटों के डूबते चले जाने का खतरा है। अब बुध की बुद्धि…औरऔर भी

त्योहारों का मौसम। दिवाली का हफ्ता चालू है। बताते हैं कि अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील पर जमकर सेल हो रही है। बॉलीवुड भी चमक रहा है। कुछ दिनों में ही मरजावां, हाउसफुल-4 और सांड की आंख जैसी कई फिल्में त्योहारी मूड को भुनाने के लिए बाज़ार में आ रही हैं। लेकिन गाड़ियों की बिक्री की मंदी टूट नहीं रही। घरों को खरीदनेवाले नहीं मिल रहे। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स व मोबाइल में खास बिक्री नहीं। अब मंगल की दृष्टि…औरऔर भी