इस समय बाज़ार को राजनीति का ज़ोर और एलआईसी जैसी घरेलू संस्थाओं की खरीद चढ़ाए जा रही है। म्यूचुअल फंड भी आम निवेशकों की लालच को आगे बढ़ाए जा रहे हैं। भाजपा की सामान्य जीत पर यह हाल है। 150 सीटें पाने पर तो बाज़ार में आग लग जाती। वास्तविकता यह है कि आगे 2019 में केंद्र में सरकार बनाने का भाजपा का रास्ता कठिन हो गया है। इसलिए देर-सबेर करेक्शन अवश्यंभावी है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

शेयर बाज़ार ने कल गुजरात में मतगणना के शुरुआती रुझानों के बाद सुबह-सुबह जैसा गोता लगाया और फिर उबरा, उसने एक बार फिर इस नियम की पुष्टि की है कि तगड़ी न्यूज़ के दिन आम ट्रेडरों को बाज़ार से दूर रहना चाहिए। अन्यथा, ऐसा झटका लगता है कि सारी पूंजी एक झटके में स्वाहा हो जाती है। बड़े खेलें, अच्छी बात है क्योंकि उनकी बड़ी औकात है। लेकिन छोटों को संभलकर चलना होगा। अब मंगल की दृष्टि…औरऔर भी

शेयर बाज़ार या कोई अन्य बाज़ार हो अथवा लोकतांत्रिक चुनाव, उसमें छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। लेकिन भारत जैसे देश में फिलहाल इस तरह की शुद्धता व्यवहार में नहीं मिलती। शेयर बाज़ार में इनसाइडर ट्रेडिंग चलती है। शेयरों के भावों से छेड़छाड़ की जाती है। हमें इस हकीकत को स्वीकार करके चलना पड़ेगा। साथ ही राजनीति में भी जोड़तोड़ ही नहीं, ईवीएम तक से छेड़छाड़ बढ़ती जा रही है। इसे रोकना होगा। अब परखते हैं सोम का व्योम…औरऔर भी

बचाते सभी हैं। लेकिन बचत से दौलत सभी नहीं बना पाते। अधिकांश लोग मूलधन की चिंता में एफडी या सोने में धन लगाते हैं। प्रॉपर्टी में निवेश सबके वश में नहीं। शेयर बाज़ार में निवेश करने से डरते हैं क्योंकि उसमें बहुत रिस्क है। लेकिन कंपनी की मजबूती को परखकर निवेश करें तो चंद सालों में धन कई गुना हो जाता है। तथास्तु में छह साल पहले पेश इस कंपनी का शेयर 7.84 गुना हो चुका है…औरऔर भी