कहते हैं कि शेयर बाज़ार अर्थव्यवस्था के बारे में भविष्य की वाणी बोलता है और उसकी मानें तो हमारी अर्थव्यवस्था बम-बम करती जा रही है। साल 2017 के पहले से लेकर आखिरी ट्रेडिंग सत्र तक शेयर बाज़ार का प्रमुख सूचकांक, सेंसेक्स 28.1 प्रतिशत बढ़ा है। अगर इस रफ्तार से किसानों की आय बढ़ जाए तो वह पांच साल नहीं, 2.8 साल में ही दोगुनी हो जाएगी। लेकिन बाज़ार की आदर्श स्थितियों के लिए बनाए गए पैमाने अक्सरऔरऔर भी

ब्रोकर क्या कहता है, मीडिया क्या कहता है, दोस्त क्या कहते हैं, बाज़ार कितना चढ़ा है, इससे आपके निवेश पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए। निवेश बहुत अनुशासित काम है जिसमें सारा रिस्क व रिवॉर्ड आपका होता है। इसलिए अपने हितों को कभी आंच न आने दें। देखें कि जो शेयर खरीद रहे हैं, उसमें मूल्य है कि नहीं और उसका भाव आपको सुरक्षित मार्जिन दे रहा है या नहीं। अब तथास्तु में साल 2017 की आखिरी कंपनी…औरऔर भी

अर्थशास्त्र के महाज्ञानी, नोबेल पुरस्कार विजेता तक कह चुके हैं कि छोटी अवधि में शेयरों के भावों की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। दूसरे शब्दों में शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग मूलतः अटकलबाज़ी या कयासबाज़ी पर ही आधारित है। हालांकि बाज़ार के मनोविज्ञान और भावों के पिछले पैटर्न से नई खरीद या बिक्री का अनुमान लगाया जाता है। लेकिन वह भी होता तो अनुमान ही है। इसलिए यहां स्टॉप लॉस न लगाना आत्मघाती है। अब शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी

एलआईसी जैसी संस्थाओं और प्रोफेशनल ट्रेडरों की राह ही सही है। वे किसी सामान्य व्यापार की तरह शेयर बाज़ार में थोक के भाव पर खरीदते और रिटेल के भाव पर बेचते हैं। लेकिन ज्यादातर रिटेल ट्रेडरों को लगता है कि शेयर बाज़ार अन्य बाज़ारों से बहुत भिन्न है और वे अपना कोई सिस्टम विकसित किए बिना टिप्स के चक्कर में मारे-मारे फिरते हैं। सौदा गलत पड़े तो उनका अहंकार और ज्यादा फुफकारता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

एलआईसी ने चालू वित्त वर्ष 2017-18 में अप्रैल से सितंबर तक के छह महीनों में शेयर बाज़ार से 12,374 करोड़ रुपए का मुनाफा कमा लिया जो साल भर पहले की समान अवधि के मुनाफे 10,643 करोड़ रुपए से 16.26% ज्यादा था। अमूमन औसत प्रोफेशनल ट्रेडर साल में बाज़ार से 10 लाख रुपए कमाते हैं। यानी, एलआईसी ने छह महीने में ही करीब सवा लाख प्रोफेशनल ट्रेडरों जितना कमा लिया। कौन किस पर भारी! अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी