बाज़ार और लोकतंत्र आपस में अभिन्न रूप से संबद्ध हैं। यहां विचारों और धारणा में भिन्नता ज़रूरी है। सोचिए, अगर सारे लोग किसी स्टॉक के भाव को लेकर मान बैठें कि उसे बढ़ना है तो कौन मूर्ख होगा जो उसे बेचेगा। बेचता वही है जो मानता है कि वह स्टॉक आगे जाकर गिरनेवाला है। लोगबाग एक-दूसरे से एकदम उल्टी सोच रखते हैं तभी खरीद-फरोख्त होती है और बाज़ार चलता है। आइए, अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग से कमाई के लिए अनुशासन से बंधी मेहनत करनी पड़ती है। कोई भी ऐसा ट्रेडर नहीं जो बिना तैयारी के स्क्रीन के सामने बैठ जाए और बराबर कमाई करता रहे। सफलता के लिए आपके पास स्पष्ट ट्रेडिंग प्लान होना ज़रूरी है। कौन से इंडीकेटर देखने हैं, कौन से शेयरों पर नज़र रखनी है, रिस्क-रिवॉर्ड का अनुपात कितना लेकर चलना है, आदि-इत्यादि। हम इसमें इनपुट भर दे सकते हैं, लड़कर जीतना आपको है। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

बैंक, हेज फंड, बीमा कंपनियां, एफआईआई व म्यूचुअल फंड जैसी संस्थाएं शेयर या किसी भी वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में बराबर मुनाफा कमाती हैं। वहीं 99% रिटेल ट्रेडर बराबर घाटा खाते हैं। आखिर क्यों? दोनों के पास तो वही भाव और समान सूचनाएं होती हैं! कोई तो धार रिटेल ट्रेडरों से छिटकी पड़ी है। दोस्तों! हम उसी धार को सामने लाने की पुरज़ोर कोशिश में लगे हैं ताकि घाटे का सिलसिला टूट जाए। अब बुधवार की बुद्धि….औरऔर भी

सेंसेक्स व निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर। सेंसेक्स 4.11% बढ़ कर 29,278.84 और निफ्टी 3.78% ऊपर 8835.60 पर बंद हुआ। पांचों दिन सूचकांक बढ़ते रहे। लेकिन इस दौरान हर दिन बाज़ार में बढ़ने वाले शेयरों का अनुपात घटता रहा। सोम को एनएसई में ट्रेड हुई कुल कंपनियों में से 58.28% के शेयर बढ़े थे, वहीं यह अनुपात शुक्र को 32.47% पर आ गया। साफ है कि बाज़ार की तेज़ी का आधार सिकुड़ता गया है। क्या है इसका मतलब…औरऔर भी