यह सच है कि शेयर बाज़ार के 95% ट्रेडर नुकसान उठाते हैं। लेकिन यह भी सच है कि बाकी 5% जमकर कमाते हैं। दरअसल, ट्रेडिंग में ढेर सारी कमाई की संभावना है। मगर, इसके लिए सही नज़रिए और सही रणनीति की ज़रूरत है। इसके कुछ आम तरीके हैं। लेकिन ट्रेडर जब इन्हें अपने व्यक्तित्व के हिसाब से खास बना लेता है तो कामयाबी उसके कदम चूमने लगती है। इस खास तत्व की दिशा में अभ्यास बुधवार का…औरऔर भी

कुछ दिनों से बाज़ार में गिरावट का जो सिलसिला चला है, उसमें तमाम लोगों के दिमाग में स्वाभाविक-सी शंका उभरी है कि कहीं तेज़ी का मौजूदा दौर निपट तो नहीं गया! अतीत का अनुभव ऐसा नहीं कहता। जनवरी 1991 से नवंबर 2010 के दरमियान तेज़ी के चार दौर तभी टूटे थे, जब सेंसेक्स 24 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड हो रहा था। अभी सेंसेक्स का पी/ई अनुपात 18.44 चल रहा है। घबराहट को समेटकर वार मंगलवार का…औरऔर भी

बाज़ार की सायास नहीं, अनायास गति को पकड़ना आसान है। लेकिन कैसे? कुछ लोग इसे अल्गोरिदम ट्रेडिंग से पकड़ते हैं। यह कुछ नियमों का समुच्चय होती है। जैसे, पांच दिन का सिम्पल मूविंग औसत (एसएएमए) 20 दिन के एसएमए के बराबर या उससे ज्यादा हो तो खरीदो। वहीं पांच दिन का एसएएमए 20 दिन के एसएमए से कम हो तो शॉर्ट करो। ऐसे तमाम नियमों के अनुशासन में ट्रेडर को बंधना पड़ता है। अब सोमवार का सूत्र…औरऔर भी

जब तक किसी कंपनी में विकास की भरपूर संभावना साफ-साफ नहीं दिखती, तब तक उसके शेयर नहीं चढ़ते। पर उन कंपनियों में भी निवेश का कोई फायदा नहीं, जिनके शेयरों में भावी विकास की ज्यादातर संभावना को भावों में सोख लिया गया हो। हमें निवेश उस कंपनी में करना चाहिए जिसमें बाज़ार को लगता है कि उसके शेयर के बढ़ने की खास गुंजाइश नहीं है। तथास्तु में आज औरों की नज़र से ओझल ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

अल्पकालिक ट्रेडिंग से कमाई और दीर्घकालिक निवेश से दौलत। यही सूत्र लेकर करीब सवा साल पहले हमने यह पेड-सेवा शुरू की थी। दीर्घकालिक निवेश की सेवा, तथास्तु को लेकर हम डंके की चोट पर कह सकते हैं कि हमसे बेहतर कोई नहीं। सूझबूझ की कृपा से इसमें सुझाए कई शेयर साल भर में चार गुना तक बढ़ चुके हैं। ट्रेडिंग में भी हम रिसर्च से आपकी रणनीति विकसित करने में लगे हैं। करें अब शुक्रवार का प्रस्थान…औरऔर भी