एक लाख रुपए पर हर दिन कोई तीन प्रतिशत भी कमाए तो महीने के बीस कारोबारी सत्रो में 60,000 रुपए कमा सकता है। बड़ी आसान दिखती है शेयर बाज़ार से यह कमाई क्योंकि रोज़ बीसियों शेयर तीन प्रतिशत से ज्यादा उठते-गिरते हैं। बढ़नेवाले को खरीदकर कमाओ, गिरनेवाले को शॉर्ट करके। मौजा ही मौजा! लेकिन यह सीन तब का है, जब वो घट चुका है। मान लीजिए जो सोचा, उसका उलटा हो गया तो! अब अभ्यास शुक्र का…औरऔर भी

हर दिन एनएसई में 1500 से ज्यादा कंपनियों के शेयर ट्रेड होते हैं। इनमें से हर किसी को ट्रैक या ट्रेड करना किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए हर ट्रेडर को अपने हिसाब से कंपनियां छांट लेनी चाहिए। यह काम उसे खुद अपने स्वभाव और पसंद-नापसंद के हिसाब से करना होगा। जैसे, कुछ धांधलियों के चलते मुझे जिंदल व आदित्य बिड़ला समूह की कंपनियां नहीं सुहाती तो मैं उन्हें अमूमन नहीं देखता। अब गुरुवार की दृष्टि…औरऔर भी

प्रवर्तकों से मिलकर खेल करनेवाले इनसाइडर ट्रेडरों को छोड़ दें तो शेयर बाज़ार में रिटेल और प्रोफेशनल, दो ही तरह के ट्रेडर आपस में भिड़ते हैं। प्रोफेशनल ट्रेडर ज्यादा समय व संसाधन लगाता है तो उसकी स्थिति बेहतर होती है। लेकिन वो छोटे सौदों को हाथ नहीं लगा सकता। रिटेल ट्रेडर ऐसे कई मसलों में उस पर भारी पड़ता है। रिटेल ट्रेडरों को इन खासियतों को समझकर अपनी ट्रेडिंग रणनीति बनानी चाहिए। अब देखें बुधवार की धार…औरऔर भी

उन्नत बाज़ार में एक-एक हरकत को पकड़ने की व्यवस्था होती है। जो अनजान हैं, वे हवा में तीर चलाते हैं। जो जानते हैं, वे पक्की गणना के आधार पर फैसला करते हैं। जैसे, अपने यहां एक सूचकांक हैं इंडिया वीआईएक्स। यह निफ्टी के आउट ऑफ द मनी (ओटीएम) ऑप्शन के भाव पर आधारित होता है। इसे डर का सूचकांक माना जाता है। यह हमेशा निफ्टी से उल्टी दिशा में चलता है। अब पकड़ते हैं मंगलवार की दिशा…औरऔर भी

अगर आपको कमोडिटी, फॉरेक्स या शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाई करनी है तो इसकी पूर्वशर्त है कि आपको चार्ट पर भावों की भाषा पढ़नी आनी चाहिए। इसके बावजूद हम अक्सर चार्ट पर वही देखते हैं जो सोचते हैं। इस आत्मग्रस्तता को भी तोड़ना पड़ता है। फिर भी आपने जो आकलन किया था, वैसा नहीं हुआ तो सिर धुनने की बात नहीं क्योंकि ऐसा सबसे साथ होता है। यह अनिश्चितता का खेल है। अब हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी