डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट के चलते बाजार कैसे हिल जाता है, इसके लिए मुझे नहीं लगता कि आपको अब किसी और प्रमाण की जरूरत है। जो बाजार पिछले सेटलमेंट में ज़रा-सा झुकने को तैयार नहीं था, वह नए सेटलमेंट के दूसरे ही दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गया। निफ्टी गिरने लगा तो गिरते-गिरते अंत में 2.26 फीसदी की गिरावट के साथ 5087.30 पर बंद हुआ। यूं तो अभी और भी बहुत कुछ होना है।औरऔर भी

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में विकसित देशों का पिछलग्गू बनने के बजाय कम से कम इतना जरूर दिखा दिया है कि उसकी रीढ़ की हड्डी अभी सही-सलामत है। अमेरिकी दौरे पर आए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शिकागो शहर में दिए गए एक बयान में कहा है कि ईरान के खिलाफ अमेरिका व यूरोपीय संघ की तरफ से बंदिशें लगाए जाने के बावजूद भारत ईरान से पेट्रोलियम तेलों के आयात में कमी नहीं करेगा। भारत अपनीऔरऔर भी

बचत को लगाने का सबसे जोखिम भरा ठिकाना है शेयर बाजार तो वहां से सबसे ज्यादा रिटर्न भी मिलने की संभावना होती है। लेकिन धन डूबकर रसातल में भी जा सकता है। इसलिए कोई भी अपनी सारी बचत शेयर बाजार में नहीं लगाता। दो-तीन महीने की जरूरत भर का कैश अलग रखकर बाकी धन बैंक एफडी से लेकर सोना व प्रॉपर्टी जैसे अपेक्षाकृत सुरक्षित माध्यमों में भी लगाता है। लेकिन निवेश का एक और विकल्प है जिसऔरऔर भी

विचारों को बाहर से ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता है। उसी तरह, जैसे हम किसी पौधे में ऊपर से फूल नहीं टांक सकते। फूल तो पौधे की जटिल संरचना के भीतर से ही निकलते हैं, कहीं से टपकते नहीं।और भीऔर भी

इसमें कोई दो राय नहीं कि हम सभी अभी सीखने के दौर में हैं और यह दौर लंबा खिंचेगा। सीखने का मतलब होता है कि पहले उस जड़ता को तोड़ना जो सालोंसाल में हमारे भीतर जड़ बना चुकी है। यह अपने-आप नहीं निकलती। निरंतर रगड़-धगड़ से इसे निकालना पड़ता है। इसका कोई शॉर्ट कट नहीं है। उसी तरह जैसे शेयर बाजार में सुरक्षित चलनेवाले आम निवेशकों के लिए कोई शॉर्ट टर्म नहीं होता। दुनिया के सबसे कामयाबऔरऔर भी

।।राकेश मिश्र।।* उदारवादी व्यवस्था में भारतीय राजस्व और अर्थशास्त्र के आज़ादी के पचास सालों में तैयार किए गए गहन मूलभूत सिद्धांतों और व्यवस्था के आधारभूत तत्वों को तथाकथित नए उदारवादी मानकों के अनुसार तय किया जाने लगा। यह दौर शुरू हुआ आर्थिक उदारीकरण के दूसरे चरण में 1998 के दौरान। इस दौर के अर्थशास्त्रियों की समाजशास्त्रीय समझ के अति उदारीकरण का परिणाम यह निकला कि देश में महंगाई की अवधारणा और मूल्य सूचकांक के मानक आधुनिक अर्थशास्त्रऔरऔर भी

।। एस पी सिंह ।। ध्वस्त राशन प्रणाली पर खाद्य सुरक्षा विधेयक का बोझ डालने का सीधा मतलब खाद्य सब्सिडी में दोगुनी लूट है। सरकार इसी मरी राशन प्रणाली के भरोसे देश की तीन चौथाई जनता को रियायती मूल्य पर अनाज बांटने का मंसूबा पाले बैठी है, जबकि उसी के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 60 फीसदी रियायती दर वाला गेहूं और 20 फीसदी चावल गरीबों तक पहुंचने से पहले ही लूट लिया जाता है। पिछले वित्त वर्षऔरऔर भी

लोकतंत्र कोई धर्म या पंथ नहीं, जहां सब कुछ आस्था व भावना से तय होता है। यहां अगर कोई भावनाओं को भड़का कर आपको लुभाता है तो समझ लेना चाहिए कि उसकी नीयत में कोई गहरा खोट है।और भीऔर भी

सामाजिक मामलों में गांधारी बना पढ़ा-लिखा शातिर इंसान कामयाब नौकरशाह बनता है। वहीं सामाजिक मामलों में पांचाली बना कढ़ा हुआ शातिर इंसान राजनेता बनता है। यही दोनों की पेशागत श्रेष्ठता है।और भीऔर भी

वाणिज्य मंत्रालय की पहल के चलते निर्यातकों को अपने धंधे की लागत 45 करोड़ डॉलर कम करने में मदद मिली है। वाणिज्‍य व उद्योग राज्‍यमंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने दावोस में बुधवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में एक पैनल चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंत्रालय के कदमों से निर्यातकों के लिए लेन-देन की कीमत कम हुई है और उन्हेँ लगभग 45 करोड़ डॉलर का फायदा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत उदारीकरणऔरऔर भी