दास तो गए, आरबीआई की दासता नहीं

वित्त सचिव से रिजर्व बैंक के गवर्नर बने शक्तिकांत दास ने छह साल तक मोदी सरकार के दास की तरह काम किया। 12 दिसंबर 2018 को उनके गवर्नर बनने के बाद से 31 मार्च 20124 तक सरकार रिजर्व बैंक के खजाने से ₹6.61 लाख करोड़ साफ कर चुकी है। दास से पहले गवर्नर रहे उर्जित पटेल ने जब इसका विरोध किया था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें खजाने पर कुंडली मारकर बैठा नाग तक कह दिया था। हालांकि दास ने जाते-जाते केंद्रीय मंत्रियों के दबाव को धता बताते हुए कहा था कि मूल्यों की स्थिरता आर्थिक विकास को टिकाए रखने के लिए आवश्यक है। दास के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर बने संजय मल्होत्रा केंद्र सरकार में वित्त सचिव से एक पद नीचे राजस्व सचिव रहे हैं। वैसे तो उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक और अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स की डिग्री ले रखी है। लेकिन 24 साल तक आईएएस के रूप में सरकार को अपनी सेवाएं देनेवाले संजय मल्होत्रा रघुराम राजन जैसे अर्थशास्त्री की तरह रिजर्व बैंक की स्वायत्तता की रक्षा करेंगे, इसकी उम्मीद नगण्य है। लगता तो यही है कि वे भी दास की तरह सरकारी आदेशों का पालन मुस्तैदी से करेंगे। अब बुधवार की बुद्धि…

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