प्रस्तावित नए कंपनी कानून के अनुसार कंपनियों को अपनी सालाना रिपोर्ट में सामाजिक क्षेत्र पर खर्च की गई राशि के अलावा इस क्षेत्र में किए गए कार्यों का विस्तृत विवरण देना होगा। कंपनी विधेयक 2009 के पारित होने के बाद कंपनियों को अपने शेयरधारकों को समाजिक कार्यों पर खर्च राशि के साथ-साथ यह भी बताना होगा कि कंपनी की सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत धन कहां-कहां खर्च किया गया। कंपनियों के लिए अपने शुद्ध लाभ का 2 फीसदी सामाजिक कार्यों पर खर्च के प्रावधान को शामिल करने का प्रस्ताव है।
कंपनी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘हालांकि प्रावधानों को अनिवार्य बनाने की हमारी योजना नहीं है लेकिन कंपनियों को अपनी सालाना रिपोर्ट की टिप्पणी में यह बताना होगा कि उन्होंने सीएसआर के तहत निर्धारित धन में से कितना और कहां खर्च किया।’’ उन्होंने कहा कि यह घोषणा शेयरधारकों के लिए की जानी अनिवार्य होगी। इससे शेयरधारक संबंधित कंपनियों के कदम के बारे में चर्चा कर सकेंगे और उस पर सवाल उठा सकेंगे।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ऐसी पारदर्शिता हमारे लिए भी (मंत्रालय) अनिवार्य है कि धन को कहीं और खर्च नहीं किया गया। इससे यह भी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि कंपनियां केवल सीएसआर के नाम पर कोई भी काम नहीं करेंगी।’’
कंपनी के लाभ का एक हिस्सा सीएसआर मद में खर्च किये जाने का सुझाव कंपनी विधयेक की जांच करने वाली वित्त पर संसद की स्थाई समिति ने दिया था। बाद में मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया कि वैसी कंपनी जिसकी नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए या उससे अधिक हो या कारोबार 1000 करोड़ रुपए या उससे अधिक अथवा शुद्ध लाभ 5 करोड़ या उससे अधिक है तो उसे सीएसआर नीति तैयार करनी पड़ेगी। (प्रेट्र)