सेबी ने कहा सुप्रीम कोर्ट से, आईपीओ घोटाले में भावे की ढिलाई पर विचार

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी से गए हुए चंद्रशेखर भास्कर भावे को अभी तीन महीने भी नहीं बीते हैं कि उनके पुराने कर्मों की स्थगित पड़ताल शुरू हो गई है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसका बोर्ड 2003-06 के आईपीओ घोटाले में डिपॉजिटरी सेवा कंपनी, एनएसडीएल को क्लीनचिट देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार है। उक्त तीन सालों में एनएसडीएल के प्रमुख सी बी भावे ही थे।

सुप्रीम कोर्ट की एक नोटिस का जवाब देते हुए अटार्नी जनरल गुलाम ई वाहनवती ने सोमवार को यह सूचना दी। उन्होंने कहा कि सेबी के बोर्ड की बैठक 26 अप्रैल को हुई थी, जिसमें आईपीओ घोटाले पर विशेष समिति की रिपोर्ट पर पुनर्विचार का फैसला किया गया। समिति ने आईपीओ घोटाले में एनएसडीएल को दोषी पाया था। बता दें कि यह घोटाला तब का है जब सेबी के पूर्व चेयरमैन सी बी भावे एनएसडीएल की बागडोर संभाले हुए थे।

वित्त मंत्रालय ने आईपीओ घोटाले की जांच के लिए सेबी के दो सदस्यों – जी मोहन गोपाल और रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर वी लीलाधर की एक समिति बनाई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भावे के समय एनएसडीएल का सिस्टम इतना लचर था कि रिटेल शेयरधारकों के लिए आरक्षित शेयरों को हथियाने के लिए हजारों फर्जी डीमैट खाते आसानी से बनवा लिए गए।

लेकिन सेबी ने सी बी भावे के चेयरमैन रहते वक्त नवंबर 2009 में गोपाल-लीलाधर समिति की रिपोर्ट को ‘non est’ या अवैध/अमान्य करार दिया था। हालांकि भावे ने कभी भी एनएसडीएल के मुद्दे पर होनेवाले सेबी की बोर्ड बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। उनका कहना था कि इस मुद्दे से जुड़े होने के कारण किसी भी निष्पक्ष फैसले के लिए उनका बाहर रहना जरूरी है। लेकिन बॉस के खिलाफ उसके मातहत कैसे जा सकते थे?

अब सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उसका बोर्ड गोपाल-लीलाधर समिति की रिपोर्ट पर पुनर्विचार करने का फैसला कर चुका है। सेबी के बोर्ड ने एनएसडीएल को क्लीनचिट दे दी थी, जबकि समिति ने उसकी भूमिका पर सवाल उठाया था। न्यायाधीश आर वी रविंद्रन और ए के पटनायक की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई में करने के निर्देश दिए हैं।

यह घोटाला 2003 और 2006 के बीच विभिन्न आईपीओ के शेयर आवंटन में अनियमितताओं से जुड़ा है। सेबी ने 25 अप्रैल की पिछली तारीख पर कहा था कि समिति की रिपोर्ट पर अपना विचार रखने के लिए उसे कुछ और समय चाहिए। कोर्ट ने मार्च में सेबी को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।

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