समझदारी इसमें है कि हम अपने बराबर वालों से होड़ लें और जो बड़े हैं, उनसे सीखें। मगर, बड़बोले व खोखले नेतृत्व की आदत होती है कि वह खुद को अपने से बहुत बड़े लोगों की होड़ में खड़ा कर देता है और जो बराबर हैं, उनकी तौहीन करता है। इससे उसके अनुयायियों में झूठा अहंकार व खोखला आत्मविश्वास भर जाता है। इस तरह नेतृत्व तो अपनी छवि चमकाकर सत्ता सुख भोगने के बाद किसी दिन झोला उठाकर चल देता है। लेकिन अवाम व देश वहीं के वहीं खड़े चक्की पीसते रह जाते हैं। ठोस संदर्भ की बात करें तो भारत, उसके मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व और चीन की आज यही स्थिति है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था का जो आकार है, वो सोलह साल पहले 2007 में चीन का हुआ करता था। तब चीन की प्रति व्यक्ति आय 2694 डॉलर हुआ करती है, जबकि आईएमएफ का अनुमान है कि चालू वर्ष 2023 के अंत तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 2601 डॉलर हो सकती है। हमें सीखना चाहिए कि चीन ने इतनी प्रगति कैसे की। अब सोमवार का व्योम…
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