भारत स्वरोज़गार-प्रधान देश पहले भी था और अब भी है। पर अभी तक किसी सरकार ने स्वरोज़गार का श्रेय लेने की जुर्रत नहीं की थी। मगर श्रेय लेने क राजनीति में ही पले-बढ़े नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने आम लोगों के स्वरोज़गार का सारा श्रेय खुद ले लिया। इसी आधार पर उनके अर्थशास्त्री गिनाते हैं कि 2014 से 2024 के दौरान देश में 17.19 करोड़ नए रोज़गार पैदा हुए हैं। यानी, हर साल औसतन 1.72 करोड़ रोज़गार जो मोदी के हर साल दो करोड़ रोज़गार देने के वादे से ज्यादा कम नहीं हैं। लेकिन न मोदी सरकार और न ही उसके अर्थशास्त्री बता पाते हैं कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय या डीजीसीए के 1692 पदों में से 814 या 48% पद खाली क्यों पड़े हैं? क्या ये खाली पद अहमदाबाद में 12 जून को हुए भयंकर प्लेन क्रैश की एक वजह नहीं हो सकते? भारतीय रेल में 2.74 लाख पद खाली पड़े हैं। देश भर में शिक्षकों से लेकर डॉक्टरों और पुलिस कर्मियों तक की भारी कमी है। केंद्र में स्वीकृत पदों की संख्या 40 लाख से ज्यादा है। लेकिन इनमें से 9.64 लाख पद खाली पड़े हैं। राज्य सरकारों में लाखों पद खाली पड़े हैं। नौजवान सरकारी नौकरी के लिए तरसता है। मगर सरकार खाली पदों को भर ही नहीं रही। अब मंगलवार की दृष्टि…
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