विदेशी निवेशकों के भारत छोड़कर चीन की तरफ भागने की तीन खास वजहें बताई जा रही हैं। एक, अमेरिका जहां चीन से मोलतोल करने की मुद्रा में है, वहीं वो भारत पर एकतरफा दबाव बनाकर अपनी शर्तें मनवा रहा है। उसे पता है कि भारत कहीं से मोलतोल करने की स्थिति में नहीं है। दूसरे भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमज़ोर होता जा रहा है। विदेशी निवेशकों को लगता है कि भारतीय शेयर बाज़ार से मुनाफा निकालने में जितनी देरी की, उनकी कमाई डॉलर में उतनी की कम होती जाएगी। तीसरे, चीन बराबर डीपसीक एआई जैसी टेक्नोलॉजी से अपनी शक्ति दिखाता और बढ़ाता जा रहा है। जानकारों का कहना है कि जब विदेशी निवेशकों को अमेरिकी सरकार के बांडों में बिना किसी रिस्क के 5% तक का सालाना रिटर्न मिल जा रहा है तो वे भारत की डांवाडोल अर्थव्यवस्था और डूबते रुपए का रिस्क क्यों लेना चाहेंगे? उनका मानना है कि भारतीय शेयर बाज़ार बाहरी नहीं, बल्कि भीतरी वजहों से गिर रहा है। 1960 के दशक में अमेरिका ने खाद्यान्न संकट से जूझते भारत गेहूं निर्यात पर बंदिशें लगा दीं तो कुछ ही सालों में भारत हरित क्रांति के दम पर खाद्यान्न में आत्म-निर्भर बन गया। लेकिन आज कंप्यूटर चिप्स व एआई की चुनौती है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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