समाचार एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो भारत में सालाना ₹30 लाख से ज्यादा कमानेवाले अमीर परिवारों की संख्या वित्त वर्ष 2020-21 के 1.07 करोड़ से 2030-31 तक बढ़कर 3.5 करोड़ हो सकती है। दूसरी तरफ साल में ₹1.25 लाख से भी कम कमानेवाले गरीब परिवारों की संख्या वित्त वर्ष 2020-21 के 4.52 करोड़ से घटते-घटते 2030-31 में 1.99 करोड़ और 2046-47 तक मात्र 72 लाख पर आ सकती है। तब देश के ज्यादातर गरीब परिवार ग्रामीण इलाकों में होंगे। यह अर्थव्यवस्था की सहज गति है और इस पर केंद्र या राज्यों में किसी भी सरकार के आने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जो भी सरकार बनें, उसे देश व राज्य के आर्थिक विकास को सही दिशा में ले जाने के लिए अर्थव्यवस्था की इस सहज गति और भारतीयों की उद्यमशीलता को ध्यान में रखना पड़ेगा। अभी की जो स्थिति हैं, उसमें समाचार एजेंसी के सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में अधिकांश नौकरीपेशा लोगों ने माना कि इस बार के बजट से उन पर टैक्स का बोझ या तो पहले जितना रहेगा या बढ़ जाएगा। सी-वोटर्स ने भी 2000 लोगों के बीच रायशुमारी की और उनमें से ज्यादातर ने माना कि 2024 का बजट 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद का सबसे खराब बजट है। मध्य वर्ग की ऐसी राय मोदी सरकार व भाजपा के लिए कतई शुभ नहीं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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