चलता है छोड़ने से निकलता धंधा
अगर अपने यहां बाज़ार व समाज में आज भी ठगी का बोलबोला है तो इसका मतलब यही है कि बाज़ार का समुचित विकास नहीं हुआ। इसमें ‘चलता है’ का हमारा अंदाज़ बड़ा बाधक है। खाने-पीने का सामान या दवा खरीदते वक्त हम एक्पायरी तिथि तक नहीं देखते। लेकिन विकसित देश बनने की प्रक्रिया में यह जागरूकता बढ़ रही है और उसी के साथ बढ़ रही हैं कुछ कंपनियां। तथास्तु में आज इसी ज़रूरत से उपजी एक कंपनी…औरऔर भी