ट्रेडिंग है क्षणिक, निवेश है दूरदर्शी
मानसून, ब्याज दर, मुद्रास्फीति, डॉलर के मुकाबले रुपया, जिंसों के भाव और जीडीपी का बढ़ना या घटना ऐसे कारक हैं जो शेयर बाज़ार व शेयरों के भावों को क्षणिक रूप से चंद दिन या महीने भर के लिए प्रभावित करते हैं। लेकिन लंबे समय में कंपनी के बिजनेस की मजबूती और प्रबंधन का दमखम ही शेयरों के भाव को प्रभावित करता है। इसीलिए ट्रेडर के विपरीत निवेशक को हमेशा दूर की सोचनी चाहिए। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी