अगर आपको लंबे समय का कामयाब निवेशक बनना है तो पहले कुशल जासूस बनना होगा। हर कंपनी एक अलग तरह का रहस्य है जिसे आपको सुलझाना है। आपको सही सवाल पूछने की कला विकसित करनी होगी। अपने दिमाग को इस तरह प्रशिक्षित करना होगा कि वह कंपनियों के बीच उभर रहे पैटर्न को खटाक से पकड़ सके। करना आपको ही होगा। बाहर से तो केवल मदद ही मिल सकती है। अब तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

सागर उफान पर होता है तो नदियां ही नहीं, नाले भी उफनते लगते हैं। गधे और खच्चर भी तैरते लगते हैं। अपने शेयर बाज़ार का फिलहाल यही हाल है। ज्यादातर अच्छे शेयर कुलांचे मारते जा रहे हैं। बेकार कंपनियों के शेयर भी फालतू चमकने लग गए हैं। ऐसे में सुरक्षित निवेश लायक शेयरों को खोज निकालना भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा काम हो गया है। फिर भी पेश है तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

आम हिंदुस्तानी के पास क्या है? हुनर और अपनी मेहनत। दो-चार एकड़ खेत हैं तो उससे गुजारे से ज्यादा कुछ नहीं चलता। करीब 60% लोग खुशकिस्मत हैं जिन्हें साल भर काम मिल पाता है। बाकी 40% या तो बेरोज़गार हैं या साल में कुछ ही महीने काम पाते हैं। जाहिर है कि अपने यहां शेयर बाज़ार मुठ्ठीभर लोगों के लिए है। इसे बढ़ाना है तो काम-धंधे और समृद्धि को बढ़ाना होगा। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार जब चढ़ रहा होता है तब आम निवेशक अक्सर अच्छे स्टॉक्स को बेचकर फायदा कमा लेते हैं, जबकि बुरे स्टॉक्स से चिपके रहते हैं, इस उम्मीद में कि तेज़ी की गंगा में वो भी कुछ फायदा दिला देंगे। लेकिन सही सोच है अच्छे व अच्छाई को धारण करो, बुरे व बुराई से निजात पाओ। हमें निवेश करते वक्त बुरे धन, बुरी एकाउंटिंग और बुरे बिजनेस से दूर रहना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

पिछले दो हफ्ते में निफ्टी का 2.27% गिरकर 10,000 से नीचे आ जाना लंबे समय के निवेशकों के लिए सुखद है। गुब्बारे का पिचकना अच्छा है। कारण, सूचकांक में शामिल हर पांच में कम से कम दो कंपनियों की वित्तीय सेहत खराब है। कर्ज की फांस उन्हें दबोचे हुए है। ऐसे में चढ़े बाज़ार के भ्रम में नहीं आना चाहिए। निवेश तभी करें, जब उसमें रिटर्न मिलने की पूरी गुंजाइश हो। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

रुपया, अमेरिकी डॉलर या यूरोपीय यूरो। अपने-आप में इन मुद्राओं का कोई मूल्य नहीं। वास्तव में वो महज कागज का टुकड़ा हैं, माया हैं। उनका मूल्य इससे बनता है कि उनमें माल या सेवा खरीदने की कितनी औकात है। इसी तरह कंपनी में निवेश करते वक्त हमें सिर्फ यही नहीं देखना चाहिए कि उसके शेयर का भाव क्या है, बल्कि यह भी कि उसकी औकात या मूल्य क्या है। आज पेश है तथास्तु में एक मूल्यवती कंपनी…औरऔर भी

टमाटर वही, रुपया वही। लेकिन पहले सौ रुपए में दस किलो मिलता था, अब एक किलो। उपयोगिता वही, मूल्य वही। लेकिन भाव चढ़ गया है। मामला सीजनल है। अगले सीजन तक फिर उतर जाएगा। शेयर बाज़ार में बहुत से शेयरों का भी यही हाल है। ऐसे में हमें बहुत सावधानी से वही कंपनियां चुननी चाहिए जिनका मूल्य सीजनल न हो, बराबर चढ़ता रहे और भाव उसी हिसाब से बढ़ता रहे। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार मुख्यतः चार दौर या चक्र से गुजरता है: निराशा, संशय, आशा और उन्माद। निराशा के दौरान जमकर खरीदना और एकदम नहीं बेचना चाहिए। संशय के दौरान संभलकर खरीदना और थोड़ा-थोड़ा बेचकर मुनाफा बनाना चाहिए। आशा के दौर में सावधानी से खरीदना और बराबर बेचकर मुनाफा निकालना चाहिए। वहीं, उन्माद के दौर में जमकर बेचना और बेहद चुनिंदा खरीद करनी चाहिए। अभी हमारा बाज़ार उन्माद के दौर में है। अब तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

पच्चीस साल पहले शेयर बाज़ार में ऐसी ही गहमागहमी थी। हर तरफ हर्षद मेहता का जलवा था। कहते थे कि जिसे वो हाथ लगाए, सोना बन जाए। लेकिन जब वो हीरो से ज़ीरो बना तो लाखों निवेशकों व ट्रेडरों की बचत स्वाहा हो गई। सबक यह कि चढ़े हुए बाज़ार के पीछे भागना ठीक नहीं। निवेश तभी करें, जब भाव वाजिब स्तर पर आ जाए। तथास्तु में एक अच्छी कंपनी जिसमें निवेश के लिए इंतज़ार करना होगा…औरऔर भी

आगे का पता नहीं। लेकिन फिलहाल अपनी अर्थव्यवस्था की हालत पतली है। जनवरी-मार्च में जीडीपी की वृद्धि दर पांच तिमाही से गिरते-गिरते 6.1% पर आ गई। मई में औद्योगिक उत्पादन मात्र 1.7% बढ़ा है, जबकि साल भर पहले यह 8% बढ़ा था। फिर भी शेयर बाज़ार नए शिखर पर! ऐसे में आंख मूंदकर और लालच में आकर नहीं, बल्कि बहुत समझदारी से निवेश करना होगा। हमने बड़ी मेहनत से छांटी है तथास्तु में एक और निवेशयोग्य कंपनी…औरऔर भी