कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा। भारतीय अर्थव्यवस्था की कुछ ऐसी ही स्थिति है। अंग्रेज़ों ने इसे खोखला बनाने की पुरज़ोर कोशिश की। आज़ाद भारत की सरकारों का भी रुख इसके मुक्त विकास का नहीं रहा। मौजूदा सरकार भी नोटबंदी जैसी हरकतों से अपनी जड़ता दिखा चुकी है। लेकिन भारत और वहां की कंपनियों को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। आज तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

बुरे से बुरे दौर में भी समाज में अच्छे व मूल्यवान लोगों का अकाल नहीं होता। इसी तरह बाज़ार में अच्छी व मूल्यवान कंपनियां हमेशा उपलब्ध रहती हैं। बस, उनकी शिनाख्त करनी पड़ती है। समाज में अच्छे लोगों को भले ही मान न मिले, लेकिन बाज़ार में अच्छी कंपनियों को उनका मूल्य देर-सबेर मिल ही जाता है। इसलिए उन्हें तभी खरीद लेना चाहिए, जब उनका भाव कम चल रहा हो। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

सरकार परेशान है कि उसे पर्याप्त टैक्स नहीं मिलता। वैसे, टैक्स से मिला जनधन वो नेताओं से लेकर अफसरों तक पर लुटाने में कोई कोताही नहीं बरतती। निवेशक को चिंता रहती है कि उसे ज्यादा रिटर्न नहीं मिलता। इस चक्कर में वो सदस्य बनाने की स्कीमों में फंस जाता है। समाधान यही है कि देश में उपयोग की चीजें व सेवाएं देनेवाली कंपनियां मजबूत बनें जिससे टैक्स व रिटर्न दोनों बढ़ेगा। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

नया साल। नए संकल्प। पुराना साल बहुत कुछ सिखाकर गया। उसके सबक याद रखते हुए आगे बढ़ते जाना है। अपनी सोच को व्यापक व स्वावलंबी बनाना है। इधर, ब्रोकरों ने मौका ताड़कर तमाम सलाहें ढेल दी हैं जो उनके काम की तो हैं, अपने नहीं। अगर हमने निवेश का स्वतंत्र सिस्टम विकसित नहीं किया तो पुरानी गलतियां बार-बार करेंगे। तथास्तु में आज ऐसी कंपनी जो पहला लक्ष्य पाने के बाद नई मंज़िल की ओर बढ़ रही है…औरऔर भी

सच्ची देशभक्ति इसमें है कि देश के बाहरी दुश्मनों की संख्या न्यूनतम करते हुए व्यापक अवाम के हित में देश में उपलब्ध प्राकृतिक व मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग कैसे पक्का किया जाए। जैसे, भारत के पास दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा कृषियोग्य भूमि है। लेकिन हमारी कृषि की उत्पादकता चीन व अमेरिका की आधी भी नहीं है। इसे सही कर देने से कृषि में छिपे अवसर खुल जाएंगे। तथास्तु में आज कृषि से जुड़ी एक कंपनी…औरऔर भी

दो-चार दिन, चंद हफ्तों या महीनों में शेयरों के भाव डर व लालच से तय होते हैं। इसलिए ट्रेडिंग करनेवालों को इन दो भावनाओं की गहरी समझ हासिल करनी पड़ती है। वहीं, दो-चार या दस-पंद्रह साल में शेयरों के भाव संबंधित कंपनियों के बिजनेस से तय होते हैं। निवेश व ट्रेडिंग की बारीकियां अलग हैं। दोनों में कंपनियां चुनने के आधार अलग हैं। आज तथास्तु में ऐसी कंपनी जिसका अतीत, वर्तमान व भविष्य, तीनों दमदार दिखते हैं…औरऔर भी

नोटबंदी ने देश के 25 करोड़ से ज्यादा परिवारों ही नहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था तक की रीढ़ हिला दी है। अपने यहां काम-धंधे का अनौपचारिक क्षेत्र है जो फैक्टरी, खनन, कंपनी या दुकानों से जुड़े कानूनों में पंजीकृत नहीं है। इसका देश के कुल उत्पादन में 48% और रोज़गार में 80% हिस्सा है। इसे तगड़ा झटका लगा है। संगठित क्षेत्र की छोटी कंपनियां भी परेशान हैं। हालांकि उनका आधार बड़ा मजबूत है। तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

हमारे गांवों से लेकर गली-कूचों तक जिस तरह के उद्यमी लोग भरे पड़े है, उन्हें अगर सही सरकारी नीतियों का साथ मिल जाए तो भारत को विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। सरकार की गलत नीतियां उसकी चाल को धीमा तो कर सकती है। लेकिन तोड़ नहीं सकतीं। यही अटूट संभावना है जो उभरती कंपनियों में निवेश की बुनियाद तैयार करती है। अब तथास्तु में आज की छोटी, मगर मारक कंपनी…औरऔर भी

इंसानी फितरत और विकास का सार यही है कि वो बदतर से बदतर सूरत का भी सकारात्मक पक्ष निकाल लेता है। नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था में आधे से ज्यादा योगदान करनेवाले छोटे उद्योगों पर बुरी मार पड़ी है। सेंसेक्स 18 दिन में 6.64% झटक गया है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इससे बहुतेरे मजबूत शेयर नीचे आ गए हैं। हालांकि, वे थोड़ा और गिर जाते तो अच्छा होता। तथास्तु में ऐसी ही एक मजबूत कंपनी…औरऔर भी

नोटबंदी कितनी सफल होगी और प्रधानमंत्री मोदी 50 दिन बाद ‘सपनों का भारत’ दे पाएंगे या नहीं, इस पर अभी से कुछ कहना मुश्किल है। वैसे ‘सपनों का भारत’ इतना छोटा नहीं हो सकता कि इतने कम समय में हासिल हो जाए। लेकिन इतना साफ है कि आम जीवन से लेकर नोटों तक में भविष्य डिजिटल का ही होना है। आज तथास्तु में ऐसी सॉफ्टवेयर कंपनी जो अब डिजिटल जगत में अपना सिक्का जमाती जा रही है…औरऔर भी