हमारे वित्तीय जगत में ठगी का बोलबाला है। इसीलिए शेयरों से लेकर म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय माध्यमों में निवेश करने वालों की आबादी 2.5% के आसपास ठहरी हुई है और लोग अपना अधिकांश निवेश सोने व प्रॉपर्टी में करते हैं। सरकार, सेबी व रिजर्व बैंक की तरफ से वित्तीय साक्षरता की बात की जाती है। पर देश का वित्त मंत्री ही जब लोगों के वित्तीय अज्ञान का फायदा उठाकर छल करने में लगा हो तो हम कैसेऔरऔर भी

कालेधन को साफ करने की जिस वैतरणी के लिए सरकार ने देश के 26 करोड़ परिवारों को तकलीफ की भंवर में धकेल दिया, वह दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कर्मनाशा बनती दिख रही है। आईएमएफ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन तक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है, जबकि चीन का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। यह केंद्र सरकारऔरऔर भी

क़ासिद के आते-आते खत इक और लिख दूं, मैं जानता हूं जो वो लिखेंगे जवाब में। सायास या अनायास, जो भी मानें, देश में बजट के सालाना अनुष्ठान का आज यही हाल हो गया है। दो दशक पहले तक लोगों को धड़कते दिल से इंतज़ार रहता था कि वित्त मंत्री क्या घोषणाएं करने वाले हैं। इनकम टैक्स में क्या होने जा रहा है। कस्टम व एक्साइज़ ड्यूटी के बारे में जहां आयातकों व निर्यातकों से लेकर छोटी-छोटीऔरऔर भी

अपनी ज़िंदगी हमें काफी कुछ समझ में आती है। उसकी आर्थिक स्थिति भी बखूबी समझ में आती है क्योंकि उसे हम अपनी ज़मीन, अपने धरातल पर खड़े होकर देखते हैं। पर, कोई देश की अर्थव्यवस्था की बात करे तो सब कुछ सिर के ऊपर से गुज़र जाता है क्योंकि हम उसे आसमां से देखते हैं। अगर हम उसे भी अपनी ज़मीन से खड़े होकर देखें तो शायद सब कुछ अपनी ज़िंदगी की तरह साफ-साफ दिखने लगेगा। यहऔरऔर भी

शरद पवार जैसे बहुरंगी कलाकार की जगह मई 2014 में जब राधा मोहन सिंह को केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया तो आम धारणा यही बनी कि ज़मीन से जुड़े नेता होने के नाते वे देश की कृषि अर्थव्यवस्था ही नहीं, किसानों के व्यापक कल्याण का भी काम करेंगे। संयोग से उससे करीब सवा साल बाद मंत्रालय का नाम भी बदल कर कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय कर दिया गया। लेकिन उसके बमुश्किल महीने भर बाद राधा मोहनऔरऔर भी

केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू कम नकदी अर्थव्यवस्था की सुविधा और डिजिटल व ऑनलाइन लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी अधिकारियों को तैयार करने में जुट गए हैं। नायडू के पास शहरी विकास, आवास व शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय भी है। उन्होंने बुधवार को अपने दोनों मंत्रालयों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार की यह पहल सहज लेनदेन के माध्यम से देरी कम करने और भ्रष्टाचार तथा कालेधन की समस्याऔरऔर भी

आठ कोर उद्योगों का संयुक्‍त सूचकांक इस बार अक्‍टूबर में 188.1 अंक रहा। यह पिछले अक्‍टूबर में दर्ज किए गए सूचकांक से 6.6% ज्यादा है। वहीं, वर्ष 2016-17 में अप्रैल से अक्‍टूबर के दौरान आठ कोर उद्योगों की संचयी उत्‍पादन वृद्धि दर 4.9% रही। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक में आठ कोर उद्योगों का भारांक करीब 38% है। नोट करने की बात यह है कि अक्टूबर 2016 में देश में कोयला, कच्चे तेल व प्राकृति गैस का उत्पादन घटा है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालयऔरऔर भी

फिराक़ गोरखपुरी की महशूर लाइनें हैं – अब अक्सर चुप-चुप से रहे है, यूं ही कभू लब खोले है; पहले फिराक़ को देखा होता, अब तो बहुत कम बोले है। भारतीय रिजर्व बैंक से रघुराम राजन के जाने के बाद कुछ ऐसी ही कमी कम से कम कुछ महीनों तक तो सालती ही रहेगी। इसलिए नहीं कि वे बिना लाग-लपेट बेधड़क अपनी बात रख देते थे, बल्कि इसलिए कि आज के नौकरशाही तंत्र में उनकी जैसी बौद्धिकऔरऔर भी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को मंजूरी दे दी। यह योजना इसी साल खरीफ सीजन से लागू हो जाएगी। इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “यह एक ऐतिहासिक दिन है। मेरा विश्वास है कि किसानों के कल्याण से प्रेरित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाएगी।” सरकार की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि किसानों केऔरऔर भी

इसे माल व सेवा कर कहिए या वस्तु एवं सेवा कर, अंततः इसे जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) के रूप में ही बोला, जाना और कहा जानेवाला है। देश में 1986 से ही इसकी अवधारणा पर काम चल रहा है। लेकिन इसके अमल में बराबर कोई न कोई दिक्कत आ जाती है। यह आज़ादी के बाद देश में परोक्ष या अप्रत्यक्ष करों का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण सुधार है। असल में, इसके लागू होने से देश मेंऔरऔर भी