वोकहार्ट का स्टॉक/शेयर सोमवार, 8 अक्टूबर से बीएसई के मिड कैप सूचकांक से बाहर निकाल दिया जाएगा। इस खबर के आने के बाद यह थोड़ा-सा गिरकर बीएसई (कोड – 532300) में 1277.80 रुपए और एनएसई (कोड – WOCKPHARMA) में 1275.95 रुपए पर बंद हुआ है। लेकिन इससे न तो इस स्टॉक और न ही कंपनी पर कोई फर्क पड़ता है। किसे पता था कि इसी साल 6 जनवरी 2012 को पांच रुपए अंकित मूल्य का जो शेयरऔरऔर भी

जब भी कभी रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति या उसकी समीक्षा पेश करनेवाला होता है तो उसके हफ्ते दस-दिन पहले से दो तरह की पुकार शुरू हो जाती है। बिजनेस अखबारों व चैनलों पर एक स्वर से कहा जाता है कि ब्याज दरों को घटाना जरूरी है ताकि आर्थिक विकास की दर को बढ़ाया जा सके। वहीं रिजर्व बैंक से लेकर राजनीतिक पार्टियों व आम लोगों की तरफ से कहा जाता है कि मुद्रास्फीति पर काबू पाना जरूरीऔरऔर भी

पिछले हफ्ते तक शेयर बाजार में मूड पस्ती का था। इस हफ्ते उत्साह का है। हफ्ते के पहले चार दिनों में सेंसेक्स नीचे में 15,748.98 से ऊपर में 16,680.59 तक 900 अंकों से ज्यादा की पेंग भर चुका है। हालांकि, आज आखिरी दिन माहौल थोड़ा सुस्त है। ऐसे में क्या मान लिया जाए कि अब पस्ती का आलम खत्म हो गया है और तेजी का नया क्रम शुरू हो रहा है। इस बीच मूलभूत स्तर पर अर्थव्यवस्थाऔरऔर भी

कहा जा रहा है कि एफआईआई दुखी हैं। फंड मैनेजर परेशान हैं। हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। गार (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) और वोडाफोन जैसे सौदों पर पिछली तारीख से टैक्स लगाने से उनको भ्रमित कर दिया है। इस साल जनवरी से मार्च तक हर महीने भारतीय शेयर बाजार में औसतन तीन अरब अरब डॉलर लगानेवाले एफआईआई ठंडे पड़ने लगे हैं। सेबी के मुताबिक उन्होंने अप्रैल में अभी तक इक्विटी बाजार में 10.69 करोड़ डॉलर काऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने तय किया है कि वह शुक्रवार को सेकंडों के भीतर निफ्टी के 5353 से गिरकर 5000 तक पहुंच जाने की जांच करेगी। एनएसई भी सब कुछ ठीक होने के दावा करने के बावजूद शुरुआती जांच शुरू कर चुका है। इससे पहले दीवाली की मुहूर्त ट्रेडिंग पर बीएसई में भी यह करिश्मा हो चुका है। उससे पहले जून 2010 में रिलायंस का शेयर एक दिन 20 फीसदी का धक्का खा चुका है।औरऔर भी

दोपहर साढ़े बारह बजे तक सब ठीक था। बाजार सपाट। न ऊपर, न ज्यादा नीचे। निफ्टी 5336.15 पर था, जबकि निफ्टी फ्यूचर्स 5353.55 के शिखर पर। फिर अचानक जाने क्या हुआ कि 2 बजकर 26 मिनट पर निफ्टी में वोल्यूम एकदम गिरकर गया और निफ्टी फ्यूचर्स सीधे 5000 की खाईं में जा गिरा। स्पॉट बाजार पर भी इसका सीधा असर पड़ा। आखिर ऐसा क्यों और कैसे हुआ? छानबीन जारी है। तमाम डीलरों का कहना है कि ऐसाऔरऔर भी

फिर वही हाल। लेकिन कल का उल्टा। दोपहर तक मामला सुस्त चल रहा था। फिर यूरोपीय बाजार से सकारात्मक रुझान मिला तो हमारा बाजार भी तेजी से बढ़ गया। लगातार चार दिन की बढ़त के बाद सेंसेक्स अब 17503.71 और निफ्टी 5332.40 पर है। सेंसेक्स आज 0.64 फीसदी तो निफ्टी 0.61 फीसदी बढ़ा है। अप्रैल के निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5364 रहा है। 5370 से बस छह अंक पीछे। जानकार बताते हैं कि अगर बाजार कोऔरऔर भी

जब बाजार के प्रमुख खिलाड़ी लोकल नहीं, ग्लोबल हों तो देश की जमीन से उठी अच्छी लहरों को बाहर के झोंके उड़ा ले जाते हैं। ब्याज दरों में अप्रत्याशित कटौती से बाजार ऊपर-ऊपर चल रहा था। अमेरिका से भी बाजार के बढ़ने का आधार पीछे था। दस बजे तक निफ्टी 5342 तक चढ़ चुका था। लेकिन सूरज के सिर पर पहुंचते ही यूरोपीय बाजारों के कमजोरी के साथ खुलने के समाचार आ गए तो भारतीय बाजार भीऔरऔर भी

मौद्रिक नीति की घोषणा के फौरन बाद चौंककर सेंसेक्स और निफ्टी 1.3 फीसदी तक बढ़ गए। लेकिन धीरे-धीरे नीचे उतरने लगे। अंदेशा है कि अब बाकी बचे साल में शायद ब्याज दरों में और कटौती न की जाए। खुद रिजर्व बैंक गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने स्पष्ट किया, “मुद्रास्फीति के बढ़ने का रिस्क अब भी कायम है। कुछ ऐसी ही कारकों ने नीतिगत दरों में और कटौती की गुंजाइश सीमित कर दी है।” बस, यही सफाई शेयर बाजारऔरऔर भी

बीते शुक्रवार को इनफोसिस ने जो किया, वही इस शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा किए जाने का अंदेशा है। इनफोसिस को पहले लगी 12.6 फीसदी चोट के ऊपर करीब 1.5 फीसदी का फटका आज और लग गया। शेयर 25 अगस्त 2011 को हासिल 2169 रुपए के न्यूनतम स्तर से थोड़ा ही दूर, 2339.35 पर बंद हुआ। अब बाजार में चर्चा चल निकली है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का लाभ चौथी तिमाही में उम्मीद से लगभग 7 फीसदी कमऔरऔर भी