बड़ी जटिल सोच और संरचना है बाज़ार की। औदयोगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के फरवरी के आंकड़े तो खराब ही रहे। मात्र 4.1 फीसदी औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है फरवरी में। लेकिन इससे भी बड़ा सदमा यह था कि जनवरी में आईआईपी में 6.8 फीसदी बढ़त के जिस आंकड़े को लेकर खुशियां मनाई गई थीं, वह झूठा निकला। अब सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय) का कहना है कि चीनी उद्योग ने जनवरी के बजाय नवंबर से जनवरी तक के आंकड़ेऔरऔर भी

बाजार बंद होते-होते साफ हो चुका था कि इंडोनेशिया में रिक्टर पैमाने पर 8.7 तीव्रता के भूकंप से भारत में किसी सुनामी का खतरा नहीं है। यह भी साफ होने लगा था कि इंडोनेशिया के जिस इलाके में भूकंप आया है, वहां से वो इलाका काफी दूर और अप्रभावित है, जहां से भारत की तमाम कंपनियां कोयला आयात करती हैं। लेकिन माहौल में डर छा चुका था और कोयला आयात करनेवाली तमाम भारतीय कंपनियों के शेयर गिरनेऔरऔर भी

पटनी कंप्यूटर्स को छोड़ दें तो अभी तक कुल तीन चिरकुट किस्म की कंपनियों ने मार्च तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। असली सिलसिला शुक्रवार, 13 अप्रैल को इनफोसिस के नतीजों के साथ शुरू होगा। चौथी तिमाही के नतीजे बाजार की दशा-दिशा तय करने का मुख्य आधार बनेंगे। हां, इससे भी बड़ा ट्रिगर ठीक हफ्ते भर बाद आनेवाली रिजर्व बैंक की सालाना मौद्रिक नीति होगी। लेकिन लगता है जैसे बाजार अपना दम खो चुका है और उठनेऔरऔर भी

महीने भर पहले जब ओएनजीसी में सरकार के पांच फीसदी हिस्से को खरीदने का ठींकरा देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के माथे पर फोड़ा गया था, तब बड़ा हल्ला मचा था कि इससे तो एलआईसी का हश्र भी किसी दिन यूटीआई जैसा हो जाएगा। लेकिन ताजा साक्ष्य इस बात की गवाही देते हैं कि एलआईसी ने भले ही ओएनजीसी के ऑफर फॉर सेल को सरकार के दबाव में बचाया हो। पर, वह खुद भी निवेशऔरऔर भी

निफ्टी 5400 तो छोड़िए, 5338.40 को भी पार नहीं कर सका और 0.66 फीसदी की गिरावट के साथ 5322.90 पर बंद हुआ। किंगफिशर एयरलाइंस खुला तो थोड़ा बढ़कर। लेकिन 18.70 रुपए तक जाने के बाद 11.11 फीसदी की बढ़त लेकर 18.50 रुपए पर बंद हुआ। गिरते बाजार में भी शेयर बढ़ते हैं। बाजार से कमाई के लिए इसी पारखी नजर को विकसित करने की जरूरत है। यह नज़र या कला अभ्यास से एक न एक दिन आऔरऔर भी

विद्वानों के मुताबिक कई तरह के संकट भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहे हैं। यूरो ज़ोन के संकट का खिंचना इस पर भारी पड़ेगा। मनमोहन सिंह की सरकार नीतिगत फैसलों में पंगु बनी हुई है। यूपीए गठबंधन में ममता ने ऐसा बवाल मचा रखा है कि सरकार को राष्ट्रीय आंतकवादी विरोधी केंद्र (एनसीटीसी) तक पर झुकना पड़ रहा है। ऊपर से घोटाले हैं कि थमने का नाम तक नहीं ले रहे। कोयला तो काला था ही। पवित्र गायऔरऔर भी

जिनका धंधा-पानी शेयर बाजार से जुड़ा है, हर सुबह उनकी यही चिंता रहती है कि आज कहां जाएगा बाजार। लेकिन बाजार कहीं भी जाए, उससे जुड़े अधिकांश लोगों की हालत अच्छी नहीं है। कल शाम बीएसई में निवेश से जुड़े प्रोफेशनल लोगों के एक समारोह में गया था, जहां साल भर बाद सेंसेक्स से लेकर, कच्चा तेल, सोना और सरकारी बांडों की यील्ड का अंदाज लगाया जा रहा था। मंच पर बैठे विशेषज्ञों की राय में एकऔरऔर भी

shri yantra

पुराने वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही बीत ली। नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही शुरू हो गई। तो, हम भी पुरानी छायाओ से मुक्त होकर नई शुरूआत कर रहे हैं। मनोगत धारणाओं के बजाय सही तथ्यों की रौशनी में सत्य को पकड़ने की कोशिश में लगेंगे। यहां अब से शेयर बाजार ही नहीं, म्यूचुअल फंड, बैंकिंग व बांड, विदेशी मुद्रा और कमोडिटी बाजार की नब्ज पकड़ने की कला का अभ्यास करेंगे। मेहनत से मुठ्ठी भर मंत्र जुटाएंगे।औरऔर भी