अकेले इनफोसिस में इतना दम है कि वह पूरे बाजार को दबाकर बैठा सकता है। शुक्रवार को यह बात साबित हो गई। सेंसेक्स 238.11 अंक गिर गया, जिसमें से 201.82 अंक का योगदान अकेले इनफोसिस का था। वह भी तब, जब सेंसेक्स में इनफोसिस का योगदान 8.18 फीसदी है। सेंसेक्स में रिलायंस इंडस्ट्रीज का योगदान सबसे ज्यादा 9.44 फीसदी और आईटीसी का उससे कम 9.02 फीसदी है। इस तरह सेंसेक्स में वजन के मामले में इनफोसिस तीससे नंबर पर है।
लेकिन निफ्टी में इनफोसिस का योगदान सबसे ज्यादा 9.50 फीसदी, उसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज का 8.32 फीसदी और फिर आईटीसी का 7.70 फीसदी है। शुक्रवार को अनिश्चित वैश्विक अर्थव्यवस्था में भावी नजरिए के कमजोर आकलन से इनफोसिस बीएसई में 12.61 फीसदी गिरकर 2403.30 पर पहुंच गया तो एनएसई में 12.66 फीसदी गिरकर 2402.55 रुपए पर बंद हुआ। इनफोसिस दिन में तो एक बार 12.82 फीसदी तक गिर गया था। यह मई 2009 के बाद किसी भी एक दिन में इनफोसिस के शेयरों में आई सबसे तीखी गिरावट है। एक दिन में कंपनी के बाजार पूंजीकरण से इस तरह 19,911 करोड़ रुपए का निकल जाना कोई मामूली बात नहीं है।
जाहिरा तौर पर पूरे बाजार पर इनफोसिस को लगी चोट का असर दिखना ही था। निफ्टी 69.40 अंक गिरा जिसमें अधिकतम योगदान इनफोसिस, टीसीएस और विप्रो का रहा। कुल मिलाकर सेंसेक्स में 1.37 फीसदी और निफ्टी में 1.32 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। बाजार का मूड बिगाड़ने में यूरोप बाजारों की कमजोरी के साथ चीन में उम्मीद से कम विकास दर के आंकड़ों का भी योगदान रहा। लेकिन इस गिरावट में कम से कम एफआईआई का हाथ नहीं रहा क्योंकि शुक्रवार को उनकी शुद्ध खरीद 137.25 करोड़ रुपए की रही है। हां, घरेलू निवेशक संस्थाओं – यानी बैंकों, म्यूचुअल फंडों व बीमा कंपनियों वगैरह, ने जरूर 479.68 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की है। इसलिए हमें रूढ़ व जड़ धारणाओं से निकलकर वास्तविक आंकड़ों की रोशनी में पल-पल बदलते सच को परखने की आदत डाल लेनी चाहिए।
यहां एक और तथ्य याद रखना चाहिए कि वैश्विक बाजार में बहुत सारे निर्णायक कारक भी वैश्विक हो गए हैं। 12 जनवरी 2012 को इनफोसिस के एडीआर (अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट्स) का वोल्यूम सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था और उस दिन उसका शेयर 8.40 फीसदी गिरकर 2826 से 2588.60 रुपए पर आ गया था। कल भी इसके एडीआर का वोल्यूम इस साल के दूसरे सर्वोच्च स्तर पर था और शेयर आज धराशाई हो गया। हमें दोनों का अंतर्संबंध समझना चाहिए।
अगला हफ्ता बड़ा खास है। सोमवार को मार्च की मुद्रास्फीति के आंकड़े आएंगे जिसके 6.70 फीसदी रहने की उम्मीद है। मंगलवार को रिजर्व बैंक की सालाना मौद्रिक नीति आएगी, जिसमें उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक रेपो दर को 8.50 फीसदी से घटाकर 8.25 फीसदी और सीआरआर 4.75 फीसदी से घटाकर 4.50 फीसदी पर लाने की योजना है। हां, अगर मुद्रास्फीति ने कुछ बड़ा झटका दे दिया तो ऐन वक्त पर फैसला बदल सकता है। फिर भी इतना तो तय मानिए कि सोमवार को बाजार में शुरुआती रुझान बढ़त का रहेगा।
बाजार के गुणी लोगों का कहना है कि चूंक निफ्टी अब भी 5200 के ऊपर है। निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5211 रहा है। निफ्टी का 200 दिनों का मूविंग औसत (डीएमए) 5145.45 का है। इसलिए बहुत उम्मीद है कि यह 5450 तक बढ़ता जा सकता है। लेकिन अगर किसी झटके के चलते यह 5185 से नीचे पहुंच गया, तब और गिरने की आशंका बढ़ जाएगी। क्या कीजिए, बाजार का यही स्वभाव है। लक्ष्मी को चंचला माना गया है तो हमारा शेयर बाजार भी वोलैटिलिटी में हर ‘चंचला’ को मात करता रहता है।