अपने यहां जो जितना कमाता है, उस पर और ज्यादा कमाने की हवस चढ़ी है। दुनिया भर में मॉल कम से कम डेढ़ दिन बंद रहते हैं, जबकि अपने यहां सातों दिन खुले रहते हैं। कल साल के पहले दिन अमेरिका, यूरोप व ऑस्ट्रेलिया से लेकर सिंगापुर, हांगकांग, चीन, जापान व कोरिया जैसे एशिया के तमाम शेयर बाज़ार बंद रहे। लेकिन अपने यहां एनएसई व बीएसई खुले रहे क्योंकि जितने भी निवेशक या ट्रेडर आ जाएं, कुछ न कुछ कमाई तो ही जाएगी। कमाने का ऐसा हाहा! यही है सेवा क्षेत्र के बढ़ने और उसको दुहने की महिमा। देश में ठोस कमाई तो ज्यादातर लोगों की हो नहीं रही, इसलिए लुभावनी पेशकश व लालच में लपेटकर जितना निचोड़ लो, उतना अच्छा। जो भी शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाना चाहता है, उसे इस लुटेरी व्यवस्था के सच के ऊपर यह भी जान लेना होगा कि यह मॉल में खरीदारी जैसा काम नहीं, बल्कि बिजनेस है। यहां से कमाने की अपनी लागत है जिससे कोई बच नहीं सकता और यहां से हुई कमाई पर इनकम टैक्स भी सारे टैक्सों के ऊपर लगता है। शेयर बाजार में ट्रेडिंग से वही कमाता है जो शेयरों को थोक के भाव में खरीदकर रिटेल के भाव में बेचता है। यहां जो 90-95% आम व्यक्तिगत ट्रेडर रिटेल के भाव में खरीदते हैं, उन्हें बरबादी से कोई नहीं बचा सकता। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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