कुछ लोग इसे धर्मांध मुसलमानों का तुष्टीकरण बता सकते हैं, लेकिन बिजनेसवालों के लिए यह ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने दायरे में लाकर धंधा बढ़ाने या वित्तीय समावेश का तरीका है। जी हां, सोमवार 27 दिसंबर से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) इस्लाम धर्म की मान्यताओं पर खरा उतरनेवाला एक सूचकांक शुरू कर रहा है। उसने इसे तक़वा एडवाइजरी एंड शरीया इनवेस्ट सोल्यूशंस (तासिस) के सहयोग से बनाया है। इनका नाम है बीएसई तासिल शरीया 50 इनडेक्स।
शुक्रवार को इसे लांच करने की आधिकारिक घोषणा करते हुए बीएसई के प्रबंध निदेशक व सीईओ मधु कन्नन ने कहा, “बीएसई तासिस शरीया 50 इंडेक्स इस्लामिक व अन्य सामाजिक जिम्मेदार निवेशकों के लिए भारतीय बाजार में पहुंचने का एक और माध्यम बनेगा। इससे खाड़ी के देशों, यूरोप व दक्षिण-पूर्व एशिया से पूंजी को भारत की तरफ खींचकर लाने में मदद मिलेगी।”
कन्नन ने इस इंडेक्स का मकसद खुलकर सामने रख दिया। लेकिन इसकी सामाजिक पैकेजिंग जरूरी थी तो साथ में कह डाला कि यह सूचकांक अवाम के बीच वित्तीय निवेश के प्रति ज्यादा जागरूकता पैदा करेगा और वित्तीय समावेश को बढ़ाने में मददगार होगा। इससे शरीयत के अनुरूप वित्तीय उत्पाद, जैसे म्यूचुअल फंड व ईटीएफ वगैरह बनाने का आधार भी बन जाएगा। बता दें कि देश में पहले से ही एक शरीयत आधारित ईटीएफ (SHARIABEES) मौजूद है जिसे बेंचमार्क म्यूचुअल फंड ने पेश कर रखा है।
इस मौके पर तासिस की टीम के वरिष्ठ सदस्य एम एच खटखटे ने कहा कि शरीया इंडेक्स भारत में शरीया निवेश की संभावना को बाहर लाएगा। उनका कहना था कि भारत में पहली बार शरीया के अनुरूप स्टॉक्स को पेश करने का इतना संजीदा प्रयास हुआ है। तासिस में रिसर्च से जुड़े निदेशक डॉ. शरीक़ निसार के मुताबिक, इस समय पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा शरीया-माफिक स्टॉक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हैं। जितने ऐसे स्टॉक्स बीएसई में उपलब्ध हैं, उतने मध्य-पूर्व के सभी देशों और पाकिस्तान को मिलाकर भी नहीं हैं।
बीएसई तासिस शरीया 50 इंडेक्स में बीएसई-500 सूचकांक में शामिल 50 सबसे बड़े व तरल शरीया-माफिक स्टॉक्स शामिल किए गए हैं। लेकिन इसमें से किसी का भी भार 8 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, कैपिटल गुड्स, आईटी, टेलिकॉम और फार्मा सेक्टर के शेयरों की प्रमुख हिस्सेदारी होगी। शेयरों का चयन तासिस के शरीया बोर्ड ने किया है। इसमें ऐसी कंपनियां शामिल नहीं हैं जिनका कारोबार शराब, पारंपरिक वित्तीय सेवाओं (बैंकिंग एवं बीमा), मनोरंजन (सिनेमा व होटल), तंबाकू, सुअर के गोश्त और हथियारों से जुड़ा हो।
बीएसई की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार इस इंडेक्स की हर तिमाही पर समीक्षा की जाएगी। लेकिन शरीयत कानून पर खरे नहीं उतरने वाले शेयरों को किसी भी वक्त इससे बाहर किया जा सकता है। बता दें कि देश में पहले ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के साथ मिलकर एसएंडपी सीएनएक्स शरीया इंडेक्स चला रहा है। नोट करने की बात यह भी है कि बीएसई तासिस शरीया-50 इंडेक्स अपनी लाभप्रदता में बीएसई सेंसेक्स और बीएसई-500 को भी मात देता रहा है। इसका आधार 1 जनवरी 2008 को 1000 का रखा गया है।
अभी इसमें जो स्टॉक शामिल हैं, उनके मूल्यों की भारित गणना से पता चलता है कि बीएसई तासिस शरीया-50 इंडेक्स ने सेंसेक्स से लगभग 25 फीसदी और बीएसई-500 से 30 फीसदी ज्यादा बढ़त हासिल की है। इसमें हिंदू-मुस्लिम या कोई भी निवेश कर सकता है। अगर 1 जनवरी 2008 से 22 दिसंबर 2010 तक की स्थिति देखें तो जहां बीएसई तासिस शरीया-50 इंडेक्स ने 22.77 फीसदी रिटर्न दिया है, वहीं बढ़ने के बजाय सेंसेक्स 1.40 फीसदी और बीएसई-500 तो 10.12 फीसदी घट गया है।