देश में जीडीपी पर भरपूर हवाबाज़ी बदस्तूर जारी है। लेकिन बेरोज़गारी पर कोई बहस नहीं। मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने का दावा किया। लेकिन पिछले 11 सालों में जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का योगदान बराबर घटता गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 2025 तक जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा 25% पर पहुंचा देंगे। हकीकत यह है कि यह 2011-12 में जीडीपी का 17.4% हुआ करता था और 2024-25 में घटते-घटते 13.9% पर पहुंच गया। मैन्यूफैक्चरिंग न बढ़ने से देश में उत्पादन घटता गया तो बाहर से आयात बढ़ता गया। इसमें भी पिछले कुछ सालों में चीन से होनेवाला आयात दोगुना हो चुका है। सरकार ने बड़े ज़ोरशोर से प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) स्कीम शुरू की। इसके अंतर्गत 14 उद्योग क्षेत्रों के लिए 1,96,409 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। आप जानकर चौंक जाएंगे कि कि इसमें से अभी तक केवल 14,020 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। एकदम साफ हो चुका है कि मोदीजी समाधान नहीं, नारे लगाने की कला में माहिर हैं। मैन्यूफैक्चरिंग के नाम पर हम आयात और असेम्बल ही कर रहे हैं, लेकिन खुद मूलतः कुछ बना नहीं रहे। चीन इसका जमकर फायदा उठा रहा है। अब बुधवार की बुद्धि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...