देश में सबसे भयंकर दुर्दशा डेमोग्राफिक डिविडेंड मानी गई उस युवा आबादी की हो रही है, जिनकी आकांक्षाओं के दम पर भारत की सारी विकासगाथा लिखी गई है। हमारे 60 करोड़ देशवासियों की उम्र 25 साल से कम है। यह वो ताकत है जो देश को आर्थिक महाशक्ति बना सकती है। लेकिन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ताजा ‘इंडिया इम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024‘ के मुताबिक भारत की श्रमशक्ति में हर साल जुड़नेवाले 70-80 लाख युवाओं की स्थिति बड़ी दयनीय है। भारत के बेरोज़गारों का तकरीबन 83% युवा लोगों का है। यह तब हो रहा है, जब कामकाज़ी आबादी 2011 के 61% से बढ़कर 2021 में 64% हो गई और 2036 में इसके 65% तक पहुंचने का अनुमान है। लेकिन इस दरमियान देश में आर्थिक गतिविधियों में लगे युवाओं का हिस्सा 2022 में घटकर 37% पर आ गया। इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि देश के बेरोज़गारों में दसवीं या इससे ज्यादा पढ़े युवाओं का हिस्सा साल 2000 से 2022 तक 35.2% से लगभग दोगुना 65.7% हो गया। यही नहीं, देश के बेरोज़गारों में ग्रेजुएट युवाओ का हिस्सा 29.1% है जो अनपढ़ बेरोज़गार युवाओं के 3.4% हिस्से से नौ गुना ज्यादा है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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