प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और रिसर्च का एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के ही सौ से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं। भारत में कृषि और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं। 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई टेक्नोलॉजी पहुंचाने में मदद करते हैं।” लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इस साल के बजट में कृषि रिसर्च व शिक्षा विभाग के लिए ₹9941.09 करोड़ प्रावधान किया गया है जो कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय को दी गई कुल ₹1,32,469.85 करोड़ की रकम का मात्र 7.50% है। यही नहीं, कृषि रिसर्च व शिक्षा को पिछले साल 2023-24 में दिए गए ₹9876.60 करोड़ के संशोधित अनुमान से केवल 0.65% अधिक है। यह 5% मुद्रास्फीति के असर को भी नहीं सोखती। इसलिए सच कहें तो इसे पिछले साल से घटा दिया गया है। ऐसे में समझ में नहीं आता कि प्रधानमंत्री मोदी किस मुंह से कृषि से जुड़ी शिक्षा व रिसर्च के मजबूत इकोसिस्टम की बात कर रहे हैं। देश में 16 साल पहले वित्त वर्ष 2008-09 में कृषि-जीडीपी का 0.75% हिस्सा कृषि रिसर्च पर खर्च किया गया था। यह 2022-23 में घटकर 0.43% और इस साल 2024-25 में 0.41% पर आ गया है। अब बुधवार की बुद्धि…
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