जबरदस्ती के रिश्ते गुलामी व एकाधिकार में ही चलते हैं। स्वेच्छा के रिश्ते तभी चलते हैं जब दोनों का फायदा हो। ग्राहक का भी और कंपनी का भी। सिर्फ ग्राहक का फायदा हो तो कंपनी ही बंद हो जाएगी।
2011-07-06
जबरदस्ती के रिश्ते गुलामी व एकाधिकार में ही चलते हैं। स्वेच्छा के रिश्ते तभी चलते हैं जब दोनों का फायदा हो। ग्राहक का भी और कंपनी का भी। सिर्फ ग्राहक का फायदा हो तो कंपनी ही बंद हो जाएगी।
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