बड़े खतरनाक दौर से गुजर रहा है भारत और हम भारत के लोग। ऐसे में यकीन उसी पर करें, जिसे साफ-साफ देख सकें, छूकर पुष्टि कर सकें। अनदेखे के चक्कर में पड़े, tangible को दरकिनार करके intangible के झांसे में आए तो कहीं के नहीं रहेंगे। न बचेगा देश, न हमारा भविष्य। किसी ज़माने में ठगों का गिरोह गाय के बछड़े को कुत्ता बताकर लूट लेता था। फिर पटना रेलवे स्टेशन को निजी संपत्ति बताकर ठग बैंकों से लोन लेने लगे। लेकिन आज तो 22 साल बाद विकसित भारत का सब्ज़बाग दिखाकर समूचे देश की धन-संपदा को लूटा जा रहा है। मुश्किल यह है कि दस साल से एक के बाद एक सब्ज़बाग का शिकार होने के बावजूद हमारी तंद्रा टूट का नहीं रही। आर्थिक विकास दर घटती जा रही है, महंगाई बढ़ती जा रही है, महिलाएं असुरक्षित हैं, किसान आंदोलन कर रहे हैं, बेरोजगार नौजवान व छात्र सड़कों पर हैं, रुपया रसातल में पहुंचता जा रहा है, लेकिन देश का बहुमत खुदाई में लगा है, वर्तमान की परवाह किए बिना गढ़े गए अतीत का बदला लेने में लगा है। कोई नहीं पूछ रहा कि जिस अर्थव्यवस्था को इसी साल 2025 में 5 ट्रिलियन डॉलर का हो जाना था, वो खुद सरकार के बजट अनुमान के मुताबिक ₹326.37 लाख करोड़ या 3.80 ट्रिलियन डॉलर तक की ही क्यों हो पाएगी? अब सोमवार का व्योम…
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