आजकल सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक और यू-ट्यूब पर शेयर बाज़ार से कमाने के गुर सिखानेवाले संतन की भीड़ लगी हुई है। चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देत रघुवीर – जैसा माहौल है। गजब श्रद्धा और विश्वास नज़र आता है। ऐसे संतगण तमाम चार्ट और फॉर्मूले चस्पा कर बताते रहते हैं कि उनके पास ऐसी विद्या है जिससे शेयरों में ट्रेडिंग से लेकर निवेश तक से जमकर कमाई की जा सकती है। इनमें से कुछ तो कई घंटों का वेबिनार करते हैं जिसमें आसानी से 100-200 लोग जुट जाते हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो दावा करते हैं कि उनके पास ऐसी विद्या है जिसे मुफ्त में बांटकर वे आम लोगों की निःस्वार्थ सेवा करना चाहते हैं। लेकिन आज के दौर में यह कॉमन-सेंस बेहद ज़रूरी है कि कहीं भी कुछ भी कभी मुफ्त का नहीं होता। हमेशा याद रखें कि अगर आपको कुछ मुफ्त मिल रहा है तो आप ही उत्पाद हैं। दूसरे, यह बात कायदे से समझ लें कि शेयर बाज़ार क्या है और वहां शेयरों के भाव ऊपर-नीचे क्यों होते रहते हैं? इसमें पैटर्न है या शेयर बाज़ार की सारी चाल रैण्डम है? पैटर्न खोजना तो मन का धन भर है। पैटर्न दो-चार दिन सफल होता है। फिर उसके बाद गच्चा देकर डुबा देता है। अब सोमवार का व्योम…
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