बैंको प्रोडक्ट्स पड़ेगा बहुतों पर बीस

शेयर बाजार में भले ही छोटे समय में ऑपरेटरों और उस्तादों की चलती हो, लेकिन लंबे समय में हमेशा निवेशकों की ही चलती है। बस जरूरत है तो मजबूत व संभावनामय कंपनियों के चयन की। और, बाजार में ऐसी कंपनियों की कोई कमी नहीं है। एक ताजा अध्ययन में बाजार में लिस्टेड ऐसी 500 कंपनियों की सूची पेश की गई है, जिन्होंने पिछले दस सालों (नवंबर 2001 से लेकर नवंबर 2011) में निवेशकों को लाभांश व शेयरों के भाव में वृद्धि को मिलाकर 22 फीसदी से लेकर 113 फीसदी का सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न दिया है।

हम आपको इस चयन में मदद करने की कोशिश करते हैं। हल्की-फुल्की नहीं, बल्कि मूलभूत तौर पर मजबूत कंपनी पेश करते हैं। लेकिन यह निवेश की कोई सिफारिश नहीं, बल्कि एक अतिरिक्त इनपुट है जो आपको फैसला करने में सहायक हो सकता है। आज की कंपनी है वडोदरा (गुजरात) की बैंको प्रोडक्ट्स। 1961 में बनी और 1987 से शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी है। ऑटो कम्पोनेंट बनाती है। उत्पादों को विकसित करने के लिए अपना आर एंड डी केंद्र है। सरकार से स्टार एक्सपोर्ट हाउस का दर्जा मिला हुआ है।

स्मॉल कैप कंपनी है। शेयर में बहुत ज्यादा ऊंच-नीच नहीं होती। 13 अप्रैल 2011 को इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर 85.90 रुपए की चोटी पर था। पिछले महीने 20 दिसंबर 2011 को 59.05 रुपए की घाटी छू ली। फिलहाल वहां से ज्यादा ऊपर नहीं उठा है। कल, 12 जनवरी को इसका शेयर बीएसई (कोड – 500039) में 65.10 रुपए और एनएसई (कोड – BANCOINDIA) में 66 रुपए पर बंद हुआ है। शेयर में न बहुत ज्यादा और न ही बहुत कम तरलता है। जैसे, कल बीएसई में इसके 1752 शेयरों में ट्रेडिंग हुई, जिसमें से 78.48 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में ट्रेड हुए 4013 शेयरों में से 76.50 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।

कंपनी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में स्टैंड-एलोन रूप से 459.98 करोड़ रुपए की बिक्री पर 58.83 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था, जबकि कंसोलिडेटेड रूप से उसकी बिक्री 844.24 करोड़ और शुद्ध लाभ 65.63 करोड़ रुपए रहा था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जून की तिमाही में उसकी बिक्री 26.28 फीसदी बढ़कर 138.98 करोड़ और शुद्ध लाभ 6.50 फीसदी बढ़कर 20.48 करोड़ रुपए हो गया। सितंबर तिमाही में उसकी बिक्री 19.06 फीसदी बढ़कर 142.13 करोड़ हो गई, लेकिन शुद्ध लाभ 2.48 फीसदी घटकर 11.08 करोड़ रुपए हो गया।

वैसे, ब्याज दरों के बढ़ने और आर्थिक सुस्ती के दौर में किसी भी ऑटो एंसिलरी कंपनी के साथ ऐसा होना लाजिमी है। इसके बावजूद कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) स्टैंड-एलोन रूप से 7.89 रुपए और कंसोलिडेटेड रूप से 9.26 रुपए है। इस तरह उसका शेयर क्रमशः 8.25 और 7.03 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी का नियोजित पूंजी पर रिटर्न 21.39 फीसदी और नेटवर्थ/इक्विटी पर रिटर्न 19.84 फीसदी है। ऋण-इक्विटी अनुपात मात्र 0.34 है। इसके अलावा बुक वैल्यू से लेकर उद्यम मूल्य (ईवी) व बिक्री के अनुपात के तराजू पर यह अपने उद्योग की दूसरी कंपनियों पर बीस पड़ती है।

खास बात यह है कि यह शेयरधारकों को दिल खोलकर लाभांश देती है। इसका लाभांश यील्ड 4.61 फीसदी है। बीते वित्त वर्ष के लिए इसने दो रुपए के शेयर पर तीन रुपए यानी 150 फीसदी का लाभांश दिया है। कंपनी की कुल 14.30 करोड़ रुपए की इक्विटी का 32.43 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास और बाकी 67.57 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। प्रवर्तकों में ओवरसीज पर्ल नाम की विदेशी कंपनी भी शामिल हैं जिसके पास 37.63 फीसदी हिस्सेदारी है। प्रवर्तकों ने कर्ज लेने के लिए अपने कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं।

एफआईआई के पास कंपनी के 0.28 फीसदी और डीआईआई के पास 2.88 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 12,242 है। इसमें से एक लाख रुपए से कम निवेश वाले शेयरधारकों की संख्या 11,301 (92.31 फीसदी) है जिनके पास कंपनी के कुल 14.76 फीसदी शेयर हैं। बाकी भूल-चूक लेनी-देनी। निवेश का फैसला अपनी बुद्धि-विवेक से ही कीजिएगा। हमारे या किसी और के कहने पर नहीं।

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