एपॉप्टोसिस शरीर की कोशिकाओं के मरते जाने की पूर्व नियोजित व्यवस्था है जो किसी अंग के पूरी तरह विकसित होने तक सहयोग करती है, लेकिन उसके बाद कोशिकाओं को बढ़ने से रोक देती है। जैसे, मानव भ्रूण में जब तक अंगूठे और उगलियां विकसित नहीं हो जातीं, तब तक यह कोशिकाओं को बनने देती है, उसके बाद नहीं। इसी व्यवस्था के चलते औसत वयस्क इंसान के शरीर में हर दिन 50 से 70 अरब कोशिकाएं मरती हैं। आठ से दस साल के बच्चे में यह संख्या 20 से 30 अरब होती है। एपॉप्टोसिस व्यवस्था के फेल जाने से ही कैंसर जैसा असाध्य रोग होता है और इंसान मर जाता है।
2010-06-17
Nice post.. but sorry it’s very small..
धन्यवाद| जानकारी उपयोगी है| आशा करता हूँ की भविष्य में भी इस तरह की जानकारी आपके द्वारा हमें रहेगी|
jati prman pot ke liye mai apna aplay kr rhaho.
सही कह रहे हैं आप
प्रकृति मे यह व्यवस्था बनी हुई है। इसी के चलते जब हमारी उपयोगिता खत्म हो जाती है, प्रजाति के बढने के लिये तब हमें रोग और बुढापा घेर लेते हैं और अंत में मृत्यु। बहुत अच्छा आलेख।
सदगुरुजीकी वाणी अमुल्य वाणी एक मुर्देको एक व्यक्ति हार पहना रहा था उसे देख कर गुरुर्जी बोले मुआ पछी लोकोए तेने संत बनावे छे और बोलते है यह आत्मा होगया पर जीतेजी ही खुद अगर यह हार मानलेताके यह शरीरके सारे के सारे कार्य बिना सांसके मुमकिन नहि है इस सांसके मालिक से एक बार मुलाकात करलुं तो जीतेजीही संत बन जाता और मनुष्य जन्मका ध्येयभी पूरा हो जाता। सांसोपे ध्यान प्राणायम और चितको एकाग्र करे खुदके चेतन स्वरुप पर तो पता चलेकी सत चित आनंद रुप अमारु परम प्राणथी पण प्यारु।
rasancard banana hai
Jati parman k liye.aaya praman k like kya krna padega.
LALAN RAZZ 7970711626
HALP NEW JATI PRMAMAN PATRA