केंद्र सरकार ने जापान व चीन से आयात की जानेवाली इनर्ट या अक्रिय गैसों पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिग शुल्क लगा दिया है। ये गैसें आमतौर पर घरेलू रेफ्रीजरेटर या वाहनों के एसी में इस्तेमाल की जाती हैं। इन पर लगाया गया एंडी-डंपिंग शुल्क 0.69 डॉलर से लेकर 1.41 डॉलर प्रति किलो होगा।
वित्त मंत्रालय से संबद्ध राजस्व विभाग का कहना है कि यह शुल्क अगर किसी वजह से खत्म नहीं किया गया तो अगले पांच सालों तक लागू रहेगा। इसकी दर अमेरिकी डॉलर में रखी गई है। लेकिन चीन व जापान की कंपनियों को इस शुल्क का भुगतान भारतीय मुद्रा, रुपया में करना होगा।
बता दें कि देश में बाहर से आयात की जानेवाली किसी वस्तु पर एंटी-डंपिंग शुल्क तब लगाया जाता है जब बाहरी कंपनियां बेहद सस्ते या कहें तो लागत से भी कम दाम पर अपना माल देश में पाटने लगती हैं। इससे घरेलू कंपनियां उनसे होड़ नहीं ले पातीं तो सरकार को देसी उद्योग को बचाने के लिए डंपिंग रोकने का उपाय शुल्क लगाकर करना पड़ता है।
वाणिज्य मंत्रालय से संबद्ध डीजीएडी (डायरेक्टर जनरल ऑफ एंटी-डंपिंग एंड एलायड ड्यूटीज) ने स्थिति की जांच के बाद जापान व चीन से आयातित इनर्ट गैसों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की सिफारिश की थी जिसे वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने स्वीकार कर लिया है। नोट करने की बात यह है कि सरकार ने साल भर पहले अप्रैल 2010 में भी जापान व चीन के इस आयात पर ऐसे ही आधार पर 0.9 डॉलर से लेकर 1.63 डॉलर प्रति किलो एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया था। लेकिन उसकी मीयाद 18 अक्टूबर 2010 को खत्म हो गई।
इस समय देश में फैब्रिक, यार्न, नाइलोन टायर कोर्ड और कई रसायनों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगा हुआ है। एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की सिफारिश वाणिज्य मंत्रालय करता है। लेकिन अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय लेता है।