इस बार मूडीज़ द्वारा अमेरिका की संप्रभु रेटिंग का गिराया जाना कोई सामान्य बात नहीं है। साल 2011 में स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने रेटिंग तब घटाई, जब अमेरिका ने निर्धारित ऋण की सीमा बुरी तरह तोड़ दी थी। 2023 में फिच ने रेटिंग घटाई, जब कोविड महामारी के चलते अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई थी। लेकिन मूडीज़ ने में रेटिंग तब घटाई है, जब अमेरिका में एक साल से अपेक्षाकृत शांति चल रही है। मुद्रास्फीति व बेरोज़गारी पर लगाम है और दुनिया के बाज़ार ज्यादा स्थिर हैं। दरअसल, डोनाल्ड ट्रम्प ने एक तरफ टैक्स में कटौतियों की बाढ़ ला दी है, यहां तक कि टिप्स व ओवरटाइम वेतन तक पर टैक्स छूट का वादा किया है, दूसरी तरफ हर छोटे-बड़े देश के साथ टैरिफ युद्ध छेड दिया है, जिसका बिखरा रायता अब समेटने की कोशिश हो रही है। भयंकर खर्चशाही वाले ट्रम्प के ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ पर अमेरिका की संसद में बवाल मचा हुआ है। इसमें अगले दस साल में 5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा उड़ाने का प्रस्ताव है, जबकि अमेरिका में ऋण-जीडीपी अनुपात 120% के पार जा चुका है। एलन मस्क तक के इस बिल के पास हो जाने पर नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। यह सब डॉलर के वर्चस्व पर टिके भारत जैसे देशों के लिए विश्वास का संकट पैदा कर सकता है। तब भारत के लिए विदेशी ऋण लेना मुश्किल हो जाएगा। अब बुधवार की बुद्धि…
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