शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग या निवेश के लिए डीमैट एकाउंट का होना ज़रूरी है और अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में कुल लगभग 2.11 करोड़ डीमैट एकाउंट हैं। इसका एक फीसदी भी पकड़ें तो हर दिन करीब दो लाख लोग ट्रेडिंग या निवेश करते होंगे। लेकिन इनमें से बमुश्किल दो हज़ार ही होंगे जो बाकायदा सोच-समझ कर धन लगाते या निकालते हैं। बाकी ज्यादातर लोग यहां अनाड़ियों की तरह मुंह उठाए चले जाते हैं। वैसे तो बाज़ार में इन अनाड़ियों की भी ज़रूरत और भूमिका है। लेकिन अनाड़ियों को खिलाड़ी बनाने के मकसद से ही अर्थकाम मैदान में उतरा है।
जो भी शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते हैं, उनके लिए किसी भी पल, दिन, हफ्ते, महीने या अन्य अवधि के चार भाव बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। खुला, ऊंचा, नीचा और बंद [ओपन, हाई, लो, क्लोज़] जो निश्चित अवधि में शेयर में चली ऊंच-नीच को दर्शाते हैं। इसमें खुला भाव बीती रात से निकले ऑर्डरों का होता है। होता है कि ऑफिस में किसी ने टिप्स दे दी; कहीं चैनल पर सुन लिया; किसी पत्रिका, अखबार या पोर्टल बताया गया कि फलांना शेयर खरीद लें। मूलतः खुले भाव अनाड़ियों की मानसिकता और रुझान को दिखाते हैं। ये उन लोगों के ऑर्डरों को दिखाते हैं जो दूसरे कामों के साथ साइड में शेयर बाज़ार में भी पैसा लगा देते हैं। ये लोग 9 बजे बाज़ार खुलने के पहले ही अपने ऑर्डर लगा देते हैं।
इन ऑर्डरों पर नज़र रहती है उन उस्ताद लोगों की, जिनका मुख्य पेशा शेयरों में ट्रेडिंग या निवेश से कमाना है। सालों का अनुभव और ढेर सारा ज्ञान लेकर ये लोग खिलाड़ी बन चुके होते हैं। ऐसे उस्ताद ट्रेडर जब देखते हैं कि ज्यादातर ऑर्डर खरीद के हैं तो भाव और चढ़ाकर खोलते हैं। नतीजतन, खरीदने को बेताब ‘अनाड़ियों’ को मजबूरन ऊंचा भाव देना पड़ता है। ठीक इसी वक्त प्रोफेशनल ट्रेडर या खिलाड़ी शॉर्ट सौदे डाल देते हैं ताकि भावों की ज़रा-सा गिरावट पर भी नोट बनाए जा सकें।
अगर भीड़ का हिस्सा बने अनाड़ियों में डर छाया है, उन्हें लगता है कि बाज़ार गिरनेवाला है, शेयर के भाव नीचे आएंगे तो उस्ताद लोग भाव उससे भी नीचे जाकर खोलते हैं। वे अनाड़ियों के शेयर सस्ते में खरीद लेते हैं ताकि ज़रा-सा उठने पर भी नोट बनाए जा सकें। हर दिन सुबह-सुबह बाज़ार में बाहरी और भीतरी लोगों का यह खेल चलता है। इससे सबक यह निकलता है कि अगर आप छोटी अवधि के ट्रेडर हैं तो आपको पहले 15 से 30 मिनट की ट्रेडिंग के दौरान खुले, ऊंचे और नीचे भाव पर बगुला-दृष्टि रखनी चाहिए। ज्यादातर भाव खुलने के बाद नीचे या ऊपर में छटक जाते हैं जो दिखाता है कि धीरे-धीरे बाज़ार पर किसका शिकंजा कस रहा है।
ट्रेड में एंट्री मारने का अच्छा मौका तब होता है, जबकि बाज़ार आपके पुख्ता आंकलन से उल्टी दिशा में काफी अंतर के साथ खुले। मान लीजिए कि आपने रात में अपने ट्रेडिंग सिस्टम पर रिसर्च करने के बाद पाया कि इस स्टॉक को खरीद लेना चाहिए। किसी वजह से वो स्टॉक काफी नीचे खुलता है। इसके बाद भाव जैसे ही कहीं टिकने लगें और उसका स्तर आपके निर्धारित स्टॉप लॉस के ऊपर हो तो खुले भाव से थोड़ा ऊंचे आपको खरीद का ऑर्डर लगा देना चाहिए। लेकिन नीचे स्टॉप लॉस के साथ। हो सकता है कि इससे आपको अच्छा स्टॉक सस्ते में मिल जाए।
जहां खुला भाव अनाड़ियों की मानसिकता दर्शाता है, वहीं बंद भाव दिखाता है कि खिलाड़ियों के बीच अंतिम सहमति क्या रही है। यही भाव बाद में अखबारों में छपता है। इसे ध्यान में रखना, बाज़ार की भावी गति को समझने के लिए बेहद ज़रूरी है। यह फ्यूचर्स जैसे डेरिवेटिव सौदों के लिए भी अहम है क्योंकि उनका सेटलमेंट इसी भाव पर होता है।
प्रोफेशनल ट्रेडर लगातार दिन भर घात लगाकर शिकार करते हैं। सुबह-सुबह भाव ऊंचा खुला तो वे शॉर्ट सेल करते हैं, नीचे खुला तो खरीदते हैं। उनकी सामान्य रणनीति होती है बाज़ार की अतियों पर कमाना। भाव ऊपर तो शॉर्ट सेल। थिर होकर भाव नीचे आ गए तो प्रोफेशनल ट्रेडर खरीदते हैं। सुबह अनाड़ियों की खरीद-बिक्री से बाज़ार में उठी लहरें आमतौर पर दिन चढ़ने के साथ थम जाती हैं। बाहरी लोग अपने-अपने काम में लग जाते हैं। शाम को बंद होने तक बाज़ार पूरी तक खिलाड़ियों या प्रोफेशनल ट्रेडरों के रंग में रंगा होता है। बंद भाव हमेशा प्रोफेशनल ट्रेडरों की सोच को दिखाते हैं। आप किसी भी शेयर के चार्ट पर खुद देख सकते हैं कि कैसे खुले और बंद भाव एक दूसरे की विपरीत दिशा पकड़ते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अनाड़ी और खिलाड़ी अक्सर एक ही ट्रेड के दो विपरीत छोरों पर खड़े होते हैं।
दोस्तों! आपने नोटिस किया होगा कि इस कॉलम में हर दिन पहला पैरा ट्रेडिंग से जुड़े खास नियमों के बारे में रहता है जिसे यह सेवा सब्सक्राइब न करनेवाला भी पढ़ सकता है। वहीं हर शनिवार को हमने सबके लिए खुला यह पूरा कॉलम ही ऐसी सीख पर केंद्रित करने का फैसला किया है। यह सारी सामग्री दुनिया के किसी न किसी धुरंधर ट्रेडर के अनुभव और ज्ञान का निचोड़ है। आप चाहें तो सोमवार से लेकर शुक्रवार तक के कॉलम के पहले पैरा को मिलाकर एक जगह रख लें। वो पूरा एक लेख बन जाएगा। उसके साथ शनिवार को यह स्वतंत्र लेख। आशा है कि हमारी मेहनत का लाभ आप लोग ज़रूर उठाने की कोशिश करेंगे।
bhut bdiya bhai sahab…apki soch rang la rhi hai…