युद्ध में बढ़-चढ़कर दावे किए जाते हैं और सतर्क से सतर्क मीडिया तक के पास कोई साधन नहीं होता कि वो पक्के तौर पर कह सके कि किसके दावे सहीं हैं और किसके गलत। लेकिन अपने यहां तो विचित्र स्थिति है। यहां तो लगता है कि खुद भारत सरकार ही देश की सैन्य स्थिति पर भारत की जनता के साथ युद्ध लड़ रही है और हमारे पास दीदा फाड़कर देखने के अलावा कोई चारा नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही दिन बाद हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय की तरफ से एक्स पर लिखा गया, “भारत ने 2024-25 में ₹23,622 करोड़ के रक्षा सामानों का निर्यात किया है, जबकि 2013-14 में ऐसा निर्य़ात मात्र ₹686 करोड़ का था।” महज एक दशक में डिफेंस निर्यात में 34 गुना वृद्धि दुनिया के डिफेंस मैन्यूफैक्चिंग क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत दिखाती है। 2024-25 में हुए ₹23,622 करोड़ के निर्यात में निजी क्षेत्र का हिस्सा ₹15,233 करोड़ और सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा ₹8389 करोड़ का था। इससे पहले 2023-24 में देश से ₹21,083 करोड़ का डिफेंस निर्यात हुआ था, जबकि 2014-15 में यह मात्र ₹1941 करोड़ का था। सरकार के इन दावो की दो खास बातें नोट करने लायक हैं। सारी तुलना दस साल पहले से और सारा कुछ मेक-इन इंडिया का प्रताप। लेकिन हकीकत क्या है? अब सोमवार का व्योम…
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