एयर इंडिया का उद्धार, बाकी अगले हफ्ते

केंद्रीय मंत्रिमंडल घरेलू एयरलाइन कंपनियों में विदेशी एयरलाइंस की इक्विटी हिस्सेदारी देने के मसले पर अगले हफ्ते विचार करेगा। इस पर आज, गुरुवार को विचार होना था। लेकिन अब इसे अगले हफ्ते के लिए टाल दिया है। यह जानकारी खुद नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने दिल्ली में मीडिया को दी। अभी का नियम यह है कि भारतीय एयरलाइन कंपनियों में 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हो सकता है। लेकिन विदेशी एयरलाइंस इनमें निवेश नहीं कर सकतीं।

आर्थिक मामलों की मंत्रिनंडलीय समिति ने एक अन्य अहम फैसले के तहत बदहाल चल रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया में 6750 करोड़ रुपए के पूंजी सहयोग की मंजूरी दे दी। साथ ही सरकार एयर इंडिया द्वारा बैंकों, एलआईसी, वित्तीय संस्थाओं व कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को जारी किए जाने वाले 7400 करोड़ रुपए के अपरिवर्तनीय डिबेंचरों के मूलधन व ब्याज को लौटाने की गारंटी देगी।

इसके अलावा बैंक अब तक एयर इंडिया को दिए गए 11,000 करोड़ रुपए के अल्पकालिक या कार्यशील पूंजी ऋण को दीर्घकालिक ऋण में बदलने को तैयार हो गए हैं। उधर, निजी एयरलाइन कंपनियां विदेशी एयरलाइंस को निवेश की इजाजत मिलने में अपना उद्धार देख रही हैं। ज्यादातर निजी एयरलाइंस इस समय संकट के दौर से गुजर रही हैं। सरकार जनवरी से विदेशी एयरलाइंस को घरेलू विमानन कंपनियों में 49 फीसदी हिस्सेदारी देने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।

विदेशी एयरलाइंस को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद की अनुमति देने के फैसले से सीधे-सीधे किंगफिशर एयरलाइंस को फायदा होगा, जो इस समय 7000 करोड़ रुपए के ज्यादा के कर्ज के बोझ तले दबी है। हालांकि जेट एयरवेज और एकमात्र मुनाफे में चल रही एयरलाइन कंपनी इंडिगो इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *